Book Title: Jain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-135 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-131 दुर्गमपदप्रबोधवृत्ति, हेमलिंगानुशासन–अवचूरि, गणपाठ, गणविवेक, गणदर्पण, प्रक्रियाग्रन्थ, हैंमलघुप्रक्रिया, हैमबृहत्प्रक्रिया, हैमप्रकाश, चंद्रप्रभा, हेमशब्द-प्रक्रिया, हेमशब्दचंन्द्रिका, हैमप्रक्रिया, हैमप्रक्रियाशब्दसमुच्चय, हेमशब्दसमुच्चय, हेमशब्दसचंय, हैमकारकसमुच्चय, सिद्धसारस्वत व्याकरण, उपसर्गमडंन, धातुमंज्जरी, मिश्रलिंगकोश, मिश्रलिंगनिर्णय, लिंगानुशासन, उणादिप्रत्यय, विभक्तिविचार, धातुरत्नाकर, धातुरत्नाकरवृत्ति क्रियाकलाप, अनिट्कारिका, अनिट्कारिकाटीका, अनिट्कारिका विवरण, उणादिनाममाला, समासप्रकरण, षट्कारकविवरण, शब्दार्थचंद्रिकोद्धार, रूचादिगणविवरण, उणादिगणसूत्र, उणादिगणसूत्रवृत्ति, विश्रांत विद्याधरन्यास, पदव्यवस्थाकारिकाटीका, कातंत्रव्याकरण, दुर्गमपदप्रबोधटीका, दौर्गसिहीवृत्ति, कातंत्रोत्तरव्याकरण, कातंत्रविस्तर, बालबोधव्याकरण, कातंत्रदीपकवृत्ति, कातंत्रभूषण, वृत्तित्रयनिबंध, कातंत्रवृत्ति-पंजिका, कातंत्ररूपमाला, लघुवृत्ति, कातंत्रविभ्रमटीका, सारस्वतव्याकरण, सारस्वतमंडन, यशोनंदिनी, विद्वचिंतामणि, दीपिका, सारस्वतरूपमाला, क्रियाचंद्रिका, रूपरत्नमाला, धातुपाठ, धातुतरंगिणीवृत्ति, सुबोधिका, प्रक्रियावृत्तिटीका, चंद्रिका, पंचसंधि-बालावबोध, भाषाटीका, न्यायरत्नावली, पंचसंधिटीका, शब्दप्रक्रियासाधनी, सरलाभाषाटीका, सिद्धांतचंद्रिका-व्याकरण, सिद्धांतचंद्रि काटीका, सुबोधिनीवृत्ति, अनिट्कारिका-अवचूरि, अनिट्कारिका एवं उसकी स्वोपज्ञवृत्ति, भूधातुवृत्ति, मुग्धावबोधवौक्तिक, बालशिक्षा, वाक्यप्रकाश, उक्तिरत्नाकर, उक्तिप्रत्यय, उक्तिव्याकरण, प्राकृत व्याकरण, प्राकृतलक्षण, प्राकृतलक्षणवृत्ति, स्वयंभूव्याकरण, सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन प्राकृतव्याकरण, सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन (प्राकृतव्याकरण)वृत्ति, हैमदीपिका, दीपिका, प्राकृतदीपिका, हैमप्राकृतढुंढिका, प्राकृतप्रबोध, प्राकृतव्याकृति, दोधकवृत्ति, हैमदोधकार्थ, प्राकृतशब्दानुशासन, प्राकृतशब्दानुशासन वृत्ति, प्राकृत पद्यव्याकरण, औदार्यचिंतामणि, अर्द्धमागधी व्याकरण आदि। संस्कृत-कोश-साहित्य-सम्बन्धी जैनाचार्यों की कृतियाँ___व्याकरण के पश्चात् कोश-साहित्य का क्रम आता है, जैनाचार्यों की कोश सम्बन्धी कृतियाँ निम्न हैं- धनंजयनाममाला, धनंजयनाममालाभाष्य, निघंटसमय, अनेकार्थनाममाला, अनेकार्थनाममालाटीका, अभिधानचिंता

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152