Book Title: Jain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 150
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-148 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-144 जैनदर्शन आदि प्रमुख ग्रन्थ है। इसके अतिरिक्त, जैनधर्मदर्शन के विविध पक्षों के लेकर हिन्दी में पर्याप्त साहित्य की रचना की हैं। इनमें डॉ. रतनचन्द जैन का शोध प्रबन्ध- जैन दर्शन में निश्चय और व्यवहारनय, एक परिशीलन, पं. कैलाशचन्द्रशास्त्री का जैनन्याय एवं प्रमाण-नय-निक्षेप प्रकाश, डॉ. सागरमल जैन के जैनभाषादर्शन, जैनदर्शन में द्रव्य, गुण और पर्याय, जैनदर्शन का गुणस्थान-सिद्धान्त प्रमुख ग्रन्थ हैं। यहाँ हमने हिन्दी के कुछ ग्रन्थों का उल्लेख किया है, वैसे तो हिन्दी भाषा में जैनधर्म एवं दर्शन से सम्बन्धित सैकड़ों ग्रन्थ हैं, जिनके नामोल्लेख से यह निबन्ध निबन्ध न रहकर एक ग्रन्थ ही बन जायेगा। इसी क्रम में साध्वी धर्मशिलाजी का नवतत्त्व, मुनिप्रमाणसागरजी का जैनधर्म और दर्शन, साध्वी विद्युतप्रभाजी का द्रव्यविज्ञान, समणी मंगलप्रज्ञाजी की आर्हतीदृष्टि भी जैनधर्मदर्शन के प्रमुख ग्रन्थ माने जाते हैं। हिन्दी भाषा के अतिरिक्त बंगाली, पंजाबी, मराठी और कन्नड़ भाषाओं में भी आधुनिक युग में जैनधर्मदर्शन से सबंधित कुछ ग्रन्थ प्रकाश में आए हैं। विस्तारभय से उन सबकी चर्चा करना यहाँ सम्भव नहीं है। दार्शनिक समस्याओं को लेकर पं. सुखलालजी के दर्शन और चिन्तन में प्रकाशित छ महत्वपूर्ण आलेख भी इस दृष्टि से विचारणीय है। इसी क्रम मे पं. कन्हैयालालजी लोढ़ा ने भी नवतत्वों पर अलग-अलग रूप से स्वतंत्र ग्रन्थ लिखे हैं। वैसे, गुजराती भाषा में भी पर्याप्त रूप से जैन-धर्म-दर्शन-संबधी साहित्य के ग्रन्थ लिखे गये हैं, किन्तु इस सम्बन्ध में मेरी जानकारी की अल्पता के कारण उन पर विशेष कुछ लिख पाना सम्भव नहीं है। यद्यपि अंग्रेजी भारतीय भाषाओं का एक अंग नहीं है, फिर भी विश्व की एक प्रमुख भाषा होने के कारण उसमें भी जैन-दर्शन-सम्बन्धी अनेक ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं। उसमें प्रो. नटमलजी टाटीया का जैन स्टडीज, डॉ. इन्द्रशास्त्री का जैन एपीस्टोमोलाजी, जे.सी. सिकन्दर का जैन थ्योरी आफ रियलिटी, प्रो. बी. आर. जैन का कासमोलाजी ओल्ड एण्ड न्यू आदि कुछ प्रमुख ग्रन्थ माने जा सकते हैं। यद्यपि आज कुछ मूल ग्रन्थों के अंग्रेजी अनुवाद सहित लगभग पांच सौ से अधिक ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में भी उपलब्ध हैं, फ्रेंच, ऊर्दू, पंजाबी, बंगाली आदि में क्वचित् जैनधर्मदर्शन सम्बन्धी ग्रन्थ उपलब्ध हैं।

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