Book Title: Jain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 149
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-147 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-143 और काव्यग्रन्थों की संस्कृत में रचनाएं हुई हैं। उनमें भी जैनदर्शन की तत्त्वमीमांसा और आचारमीमांसा का विवरण हमें मिल जाता है। अन्य भाषाओं में जैन दार्शनिक साहित्य अन्य भारतीय भाषाओं में जैन-दार्शनिक-साहित्य का निर्माण हुआ है, उसमें आगमों के टब्बे प्रमुख हैं। इनमें भी आगमों में वर्णीत दार्शनिक-मान्यताओं का मरूगुर्जर-भाषा में निर्देश हुआ है। मरूगुर्जर-भाषा में जैन-दर्शन का कोई विशिष्ट ग्रन्थ लिखा गया है, यह हमारी जानकारी में नहीं है, किन्तु हम सम्भावनाओं से इनकार नही करते हैं। मरूगुर्जर में जो दार्शनिक-चर्चाएँ हुई हैं, वे प्रायः खण्डन-मण्डनात्मक हुई हैं। इनमें भी अन्य मतों की अपेक्षा जैन-धर्म-दर्शन की विविध शाखाओं व प्रशाखाओं के पारस्परिक विवादों का ही अधिक उल्लेख है। जहाँ तक पुरानी हिन्दी और आधुनिक हिन्दी का प्रश्न है, उनमें भी पर्याप्त रूप से जैन-दार्शनिक-साहित्य का निर्माण हुआ हो, किन्तु उनमें से अधिकांश विषय पारस्परिक दार्शनिक अवधारणाओं से संबधित हैं। इनमें मेरी जानकारी के अनुसार एक प्रमुख ग्रन्थ अमोलकऋषिजी कृत जैनतत्त्वप्रकाश है। यह सर्वांगीण रूप से जैन-दर्शन के विविध पक्षों की चर्चा करता है। यह सम्भावना है कि उनके द्वारा इस प्रकार के अन्य ग्रन्थ भी लिखे गयेहोंगे, किन्तु उनकी मुझे जानकारी उपलङ | न होने के कारण उन पर अधिक कुछ कह पाना सम्भव नहीं है, यद्यपि गुणस्थान-सिद्धान्त पर अढीशतद्वारी भी इन्हीं का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। जहाँ तक आधुनिक हिन्दी में लिखे गये जैन दर्शन सम्बन्धी ग्रन्थों का प्रश्न है, उनमें पं. फूलचन्दजी द्वारा लिखित जैनतत्त्वमीमांसा एक प्रमुख ग्रन्थ है। इसके अतिरिक्त, पं. (डॉ.) दरबारीलालजी कोठिया द्वारा रचित जैनतत्त्व, ज्ञानमीमांसा, पं. सुमेरचन्द दिवाकर द्वारा रचित जैन-शासन, पं. दलसुखभाई द्वारा रचित आगमयुग का जैनदर्शन, विजयमुनिजी रचित जैन दर्शन के मूलतत्त्व, आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा जैनदर्शन मनन और मीमांसा, पं. देवेन्द्रमुनिजी द्वारा रचित जैनदर्शन स्वरूप व विशलेषण एवं जैनदर्शन मनन और मूल्याकंन, पं. महेन्द्रकुमारजी जैन द्वारा रचित जैनदर्शन, मुनि महेन्द्रकुमार द्वारा रचित जैन दर्शन एवं विद्याम्, जिनेन्द्रवर्णी द्वारा रचित जैन दर्शन में पदार्थ विज्ञान, डॉ. मोहनलाल मेहता द्वारा रचित जैनदर्शन, मुनि न्यायविजयजी द्वारा रचित

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