Book Title: Jain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 144
________________ जैन धर्म एवं दर्शन-142 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-138 सकते हैं, जैसे- परमात्मप्रकाश आदि। दिगम्बर-परम्परा में कुछ पुराण भी अपभ्रंश भाषा में मिलते हैं, इनमें भी जैन-तत्त्वमीमांसा और जैन आचारमीमांसा से सम्बन्धित विषय विपुल मात्रा में उपलब्ध हैं। यद्यपि यहाँ यह ज्ञातव्य है कि जैनों का ज्ञानमीमांसा सम्बन्धी विपुल साहित्य संस्कृत भाषा में ही उपलब्ध है। ____ प्राकृत आगमिक-व्याख्या-साहित्य में मुख्य रूप से सूत्रकृतांग नियुक्ति में भी तत्कालीन दार्शनिक-मान्यताओं की समीक्षा ही परिलक्षित होती है। नियुक्ति-साहित्य का दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ उत्तराध्ययन नियुक्ति है, जिसमें जैन-तत्त्वमीमांसा और आचारमीमांसा की कुछ चर्चा ही परिलक्षित होती है। इसके पश्चात्, शेष नियुक्तियां मुख्यतया जैन-आचार की ही चर्चा करती हैं। नियुक्तियों में आवश्यक नियुक्ति अवश्य ही एक बृहद्काय ग्रन्थ है, इसमें जैन-दर्शन एवं जैन-आचार-पद्धति की चर्चा उपलब्ध होती है। शेष नियुक्तियाँ भी प्रायश्चित् एवं जैन-साधना-विधि की चर्चा करती हैं। नियुक्ति साहित्य के पश्चात् भाष्य साहित्य का क्रम आता है। इसमें मुख्य रूप से विशेषावश्यकभाष्य ही ऐसा ग्रन्थ है, जो दार्शनिक चर्चाओं से युक्त है। इसके प्रथम खण्ड में जैन ज्ञानमीमांसा और विशेष रूप से पाँच ज्ञानों उनके उपप्रकारों और पारस्परिक सहसंबंधों की चर्चा की गई है। इसके अतिरिक्त, इसके गणधरवाद वाले खण्ड में आत्मा के अस्तित्व के साथ-साथ जैनकर्मसिद्धान्त की. गम्भीर चर्चा है। प्रथमतया, यह खण्ड गणधरों के संदेहों और उनके उत्तरों की व्याख्या प्रस्तुत करता है, उसमें स्वर्ग, नरक, पुनर्जन्म, कर्म और कर्मफल आदि की गम्भीर चर्चा है। भाष्यसाहित्य के शेष ग्रन्थों में मुख्य रूप से जैन-आचार, प्रायश्चित्-व्यवस्था और साधना-पद्धति की चर्चा की गई है। भाष्यों के पश्चात्चूर्णि साहित्य का क्रम आता है, चूर्णि-साहित्य की भाषा प्राकृत एवं संस्कृत भाषा का मिश्रित रूप है। इनमें भी आगमों की चूर्णियो की अपेक्षा मुख्य रूप से छेदसूत्रों की चूर्णियां ही अधिक प्रमुख हैं। उनमें एक आवश्यकचूर्णि ही ऐसी है, जो कुछ दार्शनिक-चर्चाओं को प्रस्तुत करती हैं। शेष चूर्णियों का संबंध आचार-शास्त्र से और उनमें भी विशेष रूप से उपसर्ग और

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