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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१२
सुन्दर चित्र कौन? एक राजा ने देश के सबसे चतुर दो चित्रकारों को बुलाया और कहा कि जो ६ माह में सबसे सुन्दर चित्र बनायेगा, उसे मुँह मांगा पुरस्कार दूंगा। राजा ने दोनों चित्रकारों को एक कमरे की आमनेसामने की दीवालों पर चित्र बनाने को कहा तथा दोनों के बीच एक मोटे कपड़े का पर्दा डलवा दिया।
दोनों ने अपना-अपना काम प्रारम्भ कर दिया। एक ने बहुत ही सुन्दर चित्र बनाये।
दूसरा सिर्फ दीवाल को घोंटता रहा, घोंटते-घोंटते उसकी वह दीवाल काँच की तरह चमकने लगी।
६माह बाद राजा दोनों के चित्र देखने आया। बीच का परदा हटा दिया गया। ___ चमकती दीवाल में सामने के चित्र ऐसे झलकने लगे थे, जैसे चित्र दीवाल के बहुत भीतर बनाये गये हों, क्योंकि दीवालों में जितना अन्तराल था, वे चित्र उतने ही भीतर दिखते थे। राजा ने इसी को पुरस्कृत किया; क्योंकि राजा सच्चे चित्रकार की परीक्षा करने हेतु यह प्रतियोगिता आयोजित की थी।
राजा ने पुरस्कार प्रदान करते समय अपने उद्बोधन में कहा कि-इसीप्रकार “जो आत्मा को शुद्ध कर लेता है, उसमें दुनिया के चित्र अपने आप झलकने लगते हैं।"
समता-मुझे पकड़ने वाला स्वयं छूट जाता है। ममता-मुझे पकड़ने वाला स्वयं पकड़ा जाता है।