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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१२ ३६. जीव, संवर, निर्जरा, मोक्ष ४३. (I) प्रवचनसार (II) छहढ़ाला ३७. (I) एक मनुष्य के आत्मा में (III) मोक्षशास्त्र (IV) समयसार बहुत ज्ञान है।
(V) अष्टपाहुड़ (VI) पंचास्तिकाय (II) जीव लक्षण ज्ञान है।
(VII) परमात्मप्रकाश (III) सुख-दुःख आत्मा को होता है। (VIII) षट्खण्डागम ३८. (I) दादा-पोता (II) बैन-बैन
४४. बाहुबलि, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, (III) माँ-बेटा (IV) भाई-भाई
सुधर्माचार्य, मुनिसुव्रतनाथ, नेमिनाथ, (V) चचेरे भाई (VI) ससुर-दामाद
वृषभसेन, कुन्दकुन्द, विमलनाथ, (VII) पिता-पुत्र (VIII) जीजा-साले (IX) तीर्थंकर-गणधर (X) पुत्र-पिता।
ऋषभदेव, भरत चक्रवर्ती, चन्द्रप्रभ, ३९. जीव में - ज्ञान, सुख, दुःख, राग, अजितनाथ, समन्तभद्र, अरनाथ,धर्मनाथ, अस्तित्वगुण, विचार।
मल्लिनाथ, नमिनाथ, अजितनाथ, अजीव में - रोग, शरीर, शब्द, सुमतिनाथ, अभिनन्दननाथ, श्रेयांसनाथ, अस्तित्वगुण, रंग।
पार्श्वनाथ, अनंतनाथ, शान्तिनाथ, वीरसेन, ४०. अभिन्न ४१. भक्त
पूज्यपाद। ४२. (1) दो (II) तीन
४५. पाँचों ज्ञानों में से एक ज्ञान होगा एवं (III) चार मनुष्य गति में, सिद्ध परमेष्ठी मोक्ष गति में।
एक समय में मोक्ष हो जायेगा।
पहेली नं. २१ का उत्तर -
१. दीपावली पर्व २. ज्ञान ३. सम्यग्दर्शन ४. सिद्ध भगवान ५. पाँच पाण्डव मुनि ६. नियमसार ७. समवसरण ८. इन्द्रभूति ९. रत्नत्रय १०. महावीर भगवान
३. महावीर प्रभु का मोक्ष ४. आत्मा का स्वभाव ६. मोक्ष का मूल ८. शरीर बिना सुन्दर वस्तु १. शत्रुजय सिद्धक्षेत्र २. समयसार का भाई ७. धर्मराजा का दरबार ९. गौतम स्वामी का नाम १०. मोक्ष में जाने का विमान ५. सिंह के भव में आत्मज्ञान