Book Title: Jain Darshan me Tanav aur Tanavmukti Author(s): Trupti Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 6
________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति 3. पारिवारिक असंतुलन और तनाव 4. सामाजिक विषमताएँ और तनाव • उत्तराध्ययन व आचारांग नियुक्ति आदि में वर्ण व्यवस्था 5. तनावों के मनावैज्ञानिक कारण . . जैनदर्शन में मन, वचन और काया की प्रवृत्तियाँ आस्रव का हेतु हैं। 6. . तनावों के धार्मिक कारण 7. अतीत और भविष्य की कल्पनाएँ और तनाव . अध्याय - 3 चैतसिक मनोभूमि और तनाव . 84-104 1. आत्मा, चित्त और मन • जैन आगमों एवं दार्शनिक ग्रन्थों के आधार पर इनका स्वरूप 2. आत्मा की अवधारणा और तनाव 3. चित्तवृत्तियाँ और तनाव का सह-सम्बन्ध 4. मन और तनाव का सह-सम्बन्ध 5. आधुनिक मनोविज्ञान में मन के तीन स्तर - A. अचेतन B. अवचेतन C. चेतन - 6. जैन, बौद्ध एवं योगदर्शन में मन की अवस्थाएँ और उनका तनावों से सह-सम्बन्ध अध्याय-4 जैनधर्म दर्शन की विविध अवधारणाएँ और तनाव 105-162 1. जैनदर्शन में आत्मा की अवस्थाएँ और तनाव से उनका सह-सम्बन्ध । 2.. त्रिविध आत्मा की अवधारणा और तनावों से उनका सह-सम्बन्ध । 3. त्रिविध चेतना और तनाव (ज्ञानचेतना, कर्मचेतना और कर्मफल चेतना) 4. जैनदर्शन में मन की विविध अवस्थाएँ और तनावों से उनका सह-सम्बन्ध For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.orgPage Navigation
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