Book Title: Jain Darshan me Tanav aur Tanavmukti
Author(s): Trupti Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 11
________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति मानव-मन के परिशोधन के लिए प्राचीनकाल से ही आध्यात्मिक- जीवन-दृष्टि का विकास आवश्यक माना गया है। यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि भारतीय-चिन्तन में तनावों से मुक्त होने के लिए आध्यात्मिक जीवन-दृष्टि के विकास के प्रयत्न प्राचीनकाल से ही होते रहे हैं। इन्हीं प्रयत्नों के फलस्वरूप विभिन्न धर्मों व दर्शनों का प्रादुर्भाव हुआ है। इन धर्मों एवं दर्शनों में भारतीय श्रमणधारा एवं योग-साधना की परम्परा का एक प्रमुख स्थान है। जैनधर्म उसी श्रमणधारा और योग-साधना की परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। जैनधर्म में तनावों की उत्पत्ति के कारणों और उनके निराकरण के उपायों पर गहराई से विचार किया गया है। आचारांगसूत्र में भगवान महावीर ने यह बताने का प्रयास किया है कि ममत्व की मिथ्यावृत्ति राग-द्वेष को जन्म देती है और अन्त में इनके कारण तनावों का जन्म होता है, अतः तनावों से मुक्त रहने के लिए क्षमा, निरभिमानता, सरलता और निर्लोभता के सदगुणों का विकास करना होगा। जिस व्यक्ति में इन गुणों का विकास हो जाता है, वह व्यक्ति तनावमुक्त हो जाता है। जैन धर्म की दृष्टि में ममता तनावों की उर्वर जन्मभूमि है और समता या वीतरागता की साधना ही तनावों के निराकरण का मूलभूत उपाय है। यही कारण है कि भगवान महावीर ने समता को धर्म कहा है। जैनधर्म में आचार्य कुन्दकुन्द ने तो यहाँ तक कहा है कि मोह और क्षोभ से रहित चेतना ही मुक्ति है। जैनधर्म की साधना वस्तुतः, मोह और क्षोभ के निराकरण की साधना है। इसके लिए राग-द्वेष और कषायों से ऊपर उठना आवश्यक माना गया है। जहाँ राग-द्वेष का अभाव होगा, वहाँ कषायों का भी अभाव होगा और ऐसी स्थिति में तनावों का जन्म कभी नहीं होगा। वस्तुतः, तनावमुक्ति ही मुक्ति है। तनावों का जन्म कषायों से होता है, अतः तनावों से मुक्त रहने के लिए कषायों से मुक्त रहना आवश्यक है। यही कारण है कि जैनधर्म में आचार्य हरिभद्र ने कहा था- "कषायों से मुक्ति ही वास्तविक मुक्ति है।" यहाँ ज्ञातव्य है कि पश्चिम में तनाव-प्रबंधन को लेकर मनोवैज्ञानिकों ने काफी कुछ प्रयत्न किया है, फिर भी उनकी सोच का मुख्य आधार भौतिकवादी जीवन-दृष्टि ही रही है। इसके विपरीत, भारतीय आध्यात्मिक-चिन्तको ने तनाव के कारण और तनाव से मुक्ति के उपायों पर आध्यात्मिक-जीवन-दृष्टि के आधार पर चिन्तन किया है। यह सत्य है कि भौतिक जीवनदृष्टि के आधार पर तनाव के कारणों और Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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