Book Title: Jain Darshan me Tanav aur Tanavmukti Author(s): Trupti Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 5
________________ जैनधर्म दर्शन में तनाव और तनावमुक्ति अनुक्रम...... विषय सूची प्रस्तावना एवं कृतज्ञता ज्ञापन अध्याय - 1 विषय परिचय 1. वर्तमान वैश्विक परिदृश्य और तनाव 2. तनाव का स्वरूप और उनके प्रभाव उत्तराध्ययनसूत्र में "वित्तेण ताणं ण लभे पमत्ते" 3. तनाव प्रबंधन का मनोवैज्ञानिक अर्थ 4. तनाव प्रबंधन का आध्यात्मिक अर्थ (क) जैनदर्शन में तनाव का आधार राग-द्वेष और कषाय (ख) आचारांग सूत्र और उत्तराध्ययन सूत्र में राग-द्वेष और कषाय (ग) तत्त्वार्थसूत्र और उसकी टीकाओं में कषायों का स्वरूप एवं उनका तनावों से सह-सम्बन्ध (घ) परबर्ती जैन दार्शनिक ग्रन्थों में राग-द्वेष और कषाय का सह-सम्बन्ध अध्याय - 2 तनावों का कारण जैन दृष्टिकोण 1. आर्थिक विपन्नता ( अभाव होना) और तनाव 2. शोषण की प्रवृत्ति और तनाव हरिभद्र के पंचाशक प्रकरण में शोषण नहीं करने के निर्देश Jain Education International पृष्ठ 7-18 For Personal & Private Use Only 3 19-56 57-83 www.jainelibrary.orgPage Navigation
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