Book Title: Jain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Author(s): Shweta Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 698
________________ 3 & ; उपसंहार ६३७ ४. शिव पुराण, वायु संहिता (पूर्व भाग), शिव से कालस्वरूप शक्ति का कथन, श्लोक १ सूत्रकृतांग १.१.३.६ नन्दीसूत्र, मलयगिरि अवचूरि, पृ. १७७ महाभारत, शांति पर्व, २३२.१९ बुद्धचरित, सर्ग ९, श्लोक ६२ बृहत्संहिता अध्याय १, सूत्र २ १०. न्यायदर्शन, अध्ययन ४, अह्निक १, सूत्र २२ है। ११. आचारांग सूत्र १.१.१.३ की शीलांक टीका १२. द्वादशारनयचक्र, भाग प्रथम, पृ. २२२ १३. शास्त्रवार्ता समुच्चय, स्तबक २, श्लोक ७६ १४. सन्मति तर्क ३.५३ पर अभयदेव टीका १५. (क) सूत्रकृतांग १.१.२.३ की शीलांक टीका में (ख) प्रश्नव्याकरण सूत्र १.२.७ की अभयदेव वृत्ति में (ग) शास्त्रवार्ता समुच्चय, स्तबक २, श्लोक ६२ की यशोविजय टीका (घ) सन्मति तर्क ३.५३ की टीका (ड) लोक तत्त्व निर्णय, पृ. २५ पर श्लोक २७ में श्वेताश्वेतरोपनिषद् १.२ १७. रामायण, किष्किन्धा काण्ड सर्ग २५.४ १८. महाभारत, शांति पर्व २२६.१० १९. अभिज्ञान शाकुन्तल १.१४ २०. अभिज्ञान शाकुन्तल ६.९ के पूर्व २१. राजतरंगिणी ८.२२.८० २२. सुत्तपिटक के दीघनिकाय के प्रथम भाग में १६. श्वतारवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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