Book Title: Jain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Author(s): Shweta Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 711
________________ जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण ६५० जैनेतर ग्रन्थ संस्कृत ग्रन्थ १. २. ३. ४. ६. ७. ८. अपरवाद - पं. मधुसूदन ओझा विरचित, पं. मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर | अभिज्ञान शाकुन्तल- महाकवि कालिदास, महालक्ष्मी प्रकाशन, आगरा ईशाद्यष्टोत्तरशतोपनिषद् - व्यास प्रकाशन, वाराणसी, १९८३ उपनिषत्सु कर्मवादः - डॉ. जातवेद त्रिपाठी, परिमल पब्लिकेशन्स, २७/२८ शक्तिनगर, दिल्ली - १९९९ काव्यप्रकाश - (संकेत, बालचित्तानुरंजनी, काव्यादर्श, आदि १६ टीकाओं सहित) प्रथम खण्ड, नाग प्रकाशक, ११ ए. / यू.ए. जवाहर नगर, दिल्ली - ७, प्रथम संस्करण, १९९५ तत्त्व संग्रह - शान्तरक्षित विरचित, Edited with An Introduction in Sanskrit By Ambar Krishnanacharya, Sanskrit Pathasala, Vadtal. तर्कभाषा - केशवमिश्र, चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी Jain Education International दीघनिकाय- विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी, १९९८ देवी भागवत पुराण ( प्रथम खण्ड ) - संस्कृति संस्थान, ख्वाजा कुतुब, वेदनगर, बरेली १०. नारदीय महापुराण- नाग पब्लिशर्स, ११ यू. ए. जवाहर नगर, दिल्ली-७ ११. नीतिशतकम् - आदर्श प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर १२. न्यायकुसुमांजलि - उदयनाचार्य विरचित, सम्पादक एवं व्याख्याकार - श्री दुर्गाधर झा, वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी - २, विक्रम संवत् २०३० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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