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जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण
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जैनेतर ग्रन्थ
संस्कृत ग्रन्थ
१.
२.
३.
४.
६.
७.
८.
अपरवाद - पं. मधुसूदन ओझा विरचित, पं. मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर |
अभिज्ञान शाकुन्तल- महाकवि कालिदास, महालक्ष्मी प्रकाशन,
आगरा
ईशाद्यष्टोत्तरशतोपनिषद् - व्यास प्रकाशन, वाराणसी, १९८३
उपनिषत्सु कर्मवादः - डॉ. जातवेद त्रिपाठी, परिमल पब्लिकेशन्स, २७/२८ शक्तिनगर, दिल्ली - १९९९
काव्यप्रकाश - (संकेत, बालचित्तानुरंजनी, काव्यादर्श, आदि १६ टीकाओं सहित) प्रथम खण्ड, नाग प्रकाशक, ११ ए. / यू.ए. जवाहर नगर, दिल्ली - ७, प्रथम संस्करण, १९९५
तत्त्व संग्रह - शान्तरक्षित विरचित, Edited with An Introduction in Sanskrit By Ambar Krishnanacharya, Sanskrit Pathasala, Vadtal.
तर्कभाषा - केशवमिश्र, चौखम्बा संस्कृत संस्थान, वाराणसी
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दीघनिकाय- विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी, १९९८
देवी भागवत पुराण ( प्रथम खण्ड ) - संस्कृति संस्थान, ख्वाजा कुतुब, वेदनगर, बरेली
१०. नारदीय महापुराण- नाग पब्लिशर्स, ११ यू. ए. जवाहर नगर, दिल्ली-७
११. नीतिशतकम् - आदर्श प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर
१२. न्यायकुसुमांजलि - उदयनाचार्य विरचित, सम्पादक एवं व्याख्याकार - श्री दुर्गाधर झा, वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी - २, विक्रम संवत् २०३०
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