Book Title: Jain Darshan Me Tattva Aur Gyan Author(s): Sagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 6
________________ प्रकाशकीय जैन, बौद्ध एवं चार्वाक दर्शन के मूलभूत तत्त्वों में इतनी उदारता एवं व्यापकता है कि विश्व की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान ढूंढा जा सकता है। "जैन दर्शन में तत्त्व और ज्ञान' पुस्तक के लेखक डॉ. सागरमल जैन ने इस पुस्तक में तत्त्वों की ऐतिहासिक क्रमिकता प्रस्तुत करते हुए आधुनिक विज्ञान के साथ भी तुलना स्पष्ट की है, जो अपने आप में रुचिकर है। वर्तमान युग की भौतिकता को ध्यान में रखते हुए यह वर्णन आवश्यक भी है कि युवा पीढ़ी इन सबको सहजता से समझे।। यह पुस्तक आगम मर्मज्ञ ख्याति प्राप्त विद्वान् डॉ. सागरमल जैन सा. का गहन व गूढ़ अध्ययन का परिणाय है। इसमें जैन कर्म सिद्धान्त, मोक्ष का स्वरूप, अनेकान्त, बौद्ध धर्म में सामाजिक चेतना, धर्मनिरपेक्षता आदि-आदि विभिन्न विषयों के आलेखों के साथ ही धर्म का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण स्पष्ट किया गया है। आशा है कि इससे जैन तत्त्व व ज्ञान के जिज्ञासुओं की ज्ञान पीपासा शान्त होगी तथा सूधी स्वाध्यायियों को बहुत लाभ होगा। बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा प्राकृत भारती अकादमी को सी.एस.आर. कार्यक्रम के सांस्कृतिक कार्यकलापों के अन्तर्गत पुस्तकों के प्रकाशन हेतु सहयोग दिया गया, उसके लिए हम उनका विशेष आभार व्यक्त करते हैं। प्रकाशन से जुड़े सभी सदस्यों को धन्यवाद! देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुरPage Navigation
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