Book Title: Jain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Author(s): Supriya Sadhvi
Publisher: Bharatiya Vidya Prakashan

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Page 346
________________ आदिपुराण में ईश्वर सम्बन्धी विभिन्न धारणाये और रत्नत्रय विमर्श 305 प्राप्ति होती है, उसमें ईश्वर के कारण नहीं। ब्रह्मसूत्र तथा प्राचीन मीमांसा ग्रन्थों के आधार पर ईश्वर की सत्ता सिद्ध मानी नहीं जाती, पर पीछे के मीमांसकों को यह त्रुटि बेहतर खटकी और इसके मार्जनार्थ उन लोगों ने ईश्वर को यज्ञपति के रूप में स्वीकार किया। इन सभी अवधारणाओं से सिद्ध होता है कि ईश्वर सृष्टि का कर्ता नहीं है जैन दर्शन के अनुसार जीवात्मा कर्मों के अनुसार जन्म-मरण, सुःख-दु:ख, भिन्न-भिन्न योनियों में जन्म धारण करता है। ईश्वर सृष्टि का कर्ता भोक्ता नहीं है। न ही सृष्टि का निर्माता है। अब जीवात्मा के जन्म-मरण के चक्र को चमाप्त करने के लिए और मोक्ष की प्राप्ति के लिए रत्नत्रय की आराधना आदिपुराण कारण ने अवश्य कहीं है। रत्नत्रय जैन धर्मदर्शन में कर्म-बन्धनों से मुक्त होने हेतु एवं मोक्ष साधना में प्रवृत्त होने के लिए ज्ञान, दर्शन एवं चारित्ररूपी रत्नत्रयी का विशेष महत्व माना गया है। सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र ये तीनों मिलकर मोक्ष के साधन है। मोक्ष साधना के लिए इन तीनों की आवश्यकता मानी गई है।13 यह तीनों को रत्नत्रया के नाम से पुकारा जाता है। रत्नत्रय में ही धर्म का स्वरूप गर्भित हो जाता है। धर्म के ये तीन अंग अन्ततः वैदिक परम्परा में भी श्रद्धा या भक्ति, ज्ञान और कर्म के नाम से स्वीकार किये गये हैं। जब कर्म सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यग्चारित्र-रूपी अग्नि से भस्म हो जाते हैं तब अग्नि से भस्मीभूत बीज से जिस प्रकार अंकुर उत्पन्न नहीं होते, उसी प्रकार कर्म जन्म-मरण के कारण नहीं बनते। सभ्यग्दर्शन और उसके अंग इत्यादि सम्यग्दर्शन सम्यग्दर्शन में दो शब्द हैं -- सम्यक् और दर्शन। सम्यक् शब्द संशोधन, परिमार्जन के लिए, यथार्थता के लिए और मोक्षाभिमुखता के लिये प्रयुक्त हुआ है। दर्शन का अर्थ - दृष्टि, देखना, विश्वास करना भी है और निश्चय करना भी है। अत: वह यथार्थ श्रद्धा जो सत्य-तथ्य पूर्ण होने के साथ-साथ मोक्षाभिमुखी हो, जीव की गति--प्रगति मोक्ष की ओर उन्मुख करे. वह सम्यग्दर्शन है। सम्यग्दर्शन का अभिप्राय है - जो वस्तु जैसी है, जिस रूप में अवस्थित है. उस पर वैसी ही श्रद्धा करना यथार्थ विश्वास करना सम्यग्दर्शन है।''

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