________________ तपसिद्ध योगिनी उग्रतपस्विनी सरलात्मा महासती श्री सुमित्रा जी म. एवं तपसिद्ध योगिनी दीप्त तपस्विनी महासती श्री सन्तोष जी म. की सुशिष्या तप रत्नेश्वरी शासन प्रभाविका तप्ततपस्विनी महासती डॉ. श्री सुनीता जी म. की सुशिष्या डॉ. श्री सुप्रिया जी म. विदुषी साध्वी रत्ना है। निरन्तर स्वाध्यायशीला डॉ. साध्वी श्री सुप्रिया जी म. का जन्म स्थान हरियाणा की पावन धरा सिरसा में हुआ था। पिता धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री जैन प्रकाश जैन तथा धर्म परायणा माता सुश्राविका श्रीमती सत्या देवी जी के धार्मिक सुसंस्कारों से संस्कारित ओसवाल परिवार में हुआ। ___आपके परिवारिक एवं धार्मिक विचारों ने आपको आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने का सुअवसर दिया और मन भौतिकता की चकाचौंध से आकर्षित न होकर संयम साधना के महान् पथ की ओर अग्रसर हुआ। 17 मई 1989 में उत्तर भारतीय प्रवर्तक भण्डारी श्री पद्म चन्द्र जी म. ने आपको जैन भगवती दीक्षा मन्त्र प्रदान किया। गुरु-चरणों में समर्पित होकर आपने अपने जीवन को अध्ययन में लगा दिया। बहुत लग्न और परिश्रम से आपने डबल.एम.ए. (हिन्दी संस्कृत) पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। - मैनें अपनी गुरु बहन के साथ-साथ लौकिक और आध्यात्मिक अध्ययन किया। हम सदैव एक दूसरे के सहयोगी रहे हैं। साध्वी डॉ. श्री सुप्रिया जी म. सरल स्वभावी, संयमी, स्नेहिल, सेवाभावी, विनम्र, गम्भीर, सहनशील, लेखन कार्य में निपुण, आगम-अनुराग, एवं जप-तप में विशेष अभिरूचि रखती है। आपके दृढ़ श्रद्धा, आत्म विश्वास, सुदृढ़ निश्चय ने आपको साधना की उच्चतम श्रेणी में प्रतिष्ठित किया। आप गुरुणी श्री जी म. की आन-मान-शान बढ़ाओ और जिनशासन की श्रृंगार बनो यही मंगल कामना शुभ भावना है। - साध्वी डॉ. सुरभि भारतीय विद्या प्रकाशन मुख्य कार्यालय : 10.B. जवाहर नगर, बैंग्ली रोड़, दिल्ली-MOOO7. दूरभाष 8 (का) 23851570 मोबाइल 8 98108