Book Title: Jagat Karta Kaun Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 7
________________ जगत कर्ता कौन? जगत कर्ता कौन? अभी तो तुम बोलते हो कि मैं चलाता हूँ, मैंने ये किया, मगर तुम्हारा कौन चलाता है? डालता। ईश्वर हाथ डाले तो उसकी जिम्मेदारी, फिर अपनी जिम्मेदारी कुछ नहीं है, फिर हम छूट गए। वो जो दूसरी शक्ति काम करती है, वो हम बता देते हैं। भगवान तो भगवान ही है। भगवान ने तो कभी संसार में हाथ ही नहीं डाला। वो तो संसार कैसे चल रहा है, वो सब देखते रहते और खुद परमानंद में रहते हैं। दुनियादारी में बात करते हैं कि ये सब भगवान ने बनाया है और दूसरी ओर बोलते हैं कि मोक्ष भी है। याने मोक्ष भी जा सकते हैं। अरे, मोक्ष और भगवान ने सब बनाया, ये दो विरोधाभासी बातें हैं। यदि मोक्ष होता है, तो भगवान की ज़रूरत नहीं और भगवान बनाता है तो मोक्ष की ज़रूरत नहीं। मोक्ष और भगवान दोनों साथ नहीं हो सकते। यदि भगवान ने सब बनाया, तो वो अपना ऊपरी (मालिक) हो गया। मगर ऐसा नहीं है। अपना अन्डरहेन्ड (अपने हाथ नीचे काम करनेवाला) भी कोई नहीं है और अपना ऊपरी (मालिक) भी कोई नहीं है। तो फिर यह दुनिया किसने बनाई? रचयिता (क्रिएटर) के बिना तो होता ही नहीं न? प्रश्नकर्ता : वैसे तो हमारा भगवान चलाता है। दादाश्री : भगवान करते हैं, तो आप क्यों करते हैं? जो भगवान करते हैं तो आप कर्ता पद छोड़ दो और आप जो करते हैं तो भगवान की बात छोड दो। भगवान ने बोला है कि हम कर्ता नहीं हैं, सब जीव कर्ता है। गाय-भैंस सब कुछ अपना खुद का करते हैं, क्योंकि उनको दिमाग दिया है। वो दिमाग से चलते हैं। सब जीव को दिमाग दिया है। जैसा दिमाग इसको चलाता है, ऐसे चलते हैं, बस! भगवान इसमें हाथ ही नहीं डालते हैं। भगवान तो आपको प्रकाश देंगे, दूसरा कुछ नहीं। दूसरी माथापच्ची तुम करो। दिमाग तो दिया है सबको। गाय, बकरी, भैंस सबको दिमाग दिया है। वो नीचे उतरते हैं, ऊपर चढ़ते है, वो दिमाग से चलता है, भगवान चलाता नहीं। प्रश्नकर्ता : अपने हिन्दुस्तान में लोग उसे 'भगवान' कहते हैं और सब वैज्ञानिक (साइन्टिस्ट) उसे कुदरत (nature) कहते हैं। मगर कोई शक्ति ज़रूर है कि जो ये सब संचालन (control) कर रही है। दादाश्री : कंट्रोल तो कोई करता ही नहीं। ये तो खाली कम्प्युटर है। वो कम्प्युटर ही जगत को चलाता है। प्रश्नकर्ता : कम्प्युटर को कौन चलाता है? दादाश्री : उसको चलाने की कोई जरूरत ही नहीं है। ऐसे ही चलता है। ये सबका दिमाग है, वो छोटा कम्प्युटर है और जो जगत को चलाता है वो बड़ा कम्प्युटर है। छोटे कम्प्युटर से सब हिसाब बड़े कम्प्युटर में चला जाता है। वे scientist (वैज्ञानिक) लोग हमें बोलते हैं कि God is not creator of this world, (भगवान इस जगत का रचयिता नहीं है) ऐसा हमें लगता है। क्योंकि ऐसा research (संशोधन) हो गया है कि हम कुछ कर सकते हैं। तो हमने बोल दिया कि 'आप कुछ कर सकते हैं मगर कहाँ तक? इसकी limit (सीमा) है। क्या है? कि दिमाग लगाए वहाँ तक।' बुद्धि से कोई ज्यादा आगे नहीं जा सकता। बुद्धि से चलता है। इधर भगवान का कोई हाथ नहीं है। देखो न, दुनिया के मनुष्य मानते हैं कि भगवान ने सब बनाया है। ऐसा सब लोग, बच्चे भी जानते हैं। वो बात सच्ची नहीं है, वास्तविक नहीं है। वो लौकिक बात है। लौकिक सामान्य लोगों के लिए है। मगर पता करना चाहिए कि फिर सच्ची बात क्या है? वो तो पता करना चाहिए न?! आपको वास्तविक नहीं चाहिए और viewpoint (दृष्टिकोण) की बात जानना हो तो वो भी बता देंगे कि भगवान ने ही सब बनायाPage Navigation
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