Book Title: Jagat Karta Kaun
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 10
________________ जगत कर्ता कौन ? नहीं की है, मगर हमारे पास सब चीज़ अपने आप आ जाती है। प्रश्नकर्ता: वो भी करके देखा कि किसी चीज़ की इच्छा नहीं करना तो वो खुद ही चली आएगी, फिर भी नहीं आती। दादाश्री : हाँ, वह इसलिए कि क्रेडिट साइड (पुण्य का खाता)में कुछ तो होना चाहिए न? हम इच्छा नहीं करते हैं तो भी सब आता है, तो हमारी क्रेडिट साइड (पुण्याई) कितनी बड़ी है ! इच्छा करनेवाले को शास्त्र क्या बोलता है? उसको भिखारी बोलता है। कितने मनुष्य पैसों के भिखारी हैं, कितने स्त्री-विषय के भिखारी हैं, कितने मान के भिखारी हैं, कितने कीर्ति के भिखारी हैं, कोई मंदिर बनाने का भिखारी है। सब भीख, भीख, भीख ही है। हमें किसी प्रकार की भीख नहीं, तो सारे जगत की लगाम हमारे पास है। जिसे किसी प्रकार की भी इच्छा नहीं है, उसे वो पद मिल जाता है। जो पद हमें मिला है, वो पद आपको भी मिल सकता है। मगर भीखवाले को नहीं मिलता। प्रश्नकर्ता: हम भीख माँगें तो भी हमें नहीं मिले हमें ? दादाश्री : हाँ, इसके लिए आपकी क्रेडिट साइड नहीं है। पहले क्रेडिट साइड चाहिए। जितना क्रेडिट है, इतनी आपको कोई तकलीफ नहीं है। भगवान को इच्छा नहीं रहती। भगवान तो भगवान है। प्रश्नकर्ता: तो इच्छाशक्ति, क्रियाशक्ति, ज्ञानशक्ति वो किसकी है? दादाश्री : वो सब भगवान की नहीं है। ये कोई शक्ति भगवान में नहीं है। भगवान में इच्छाशक्ति भी नहीं है, क्रियाशक्ति भी नहीं और ज्ञानशक्ति भी नहीं है। तीनों शक्तियाँ भगवान में नहीं है। भगवान तो खाली विज्ञानशक्ति है, बस ! जगत कर्ता कौन ? अंत, दुनिया का या 'व्यवहार' का? प्रश्नकर्ता : यह दुनिया कैसे पैदा हुई? सबसे पहले क्या पैदा हुआ था? १० दादाश्री : पहला कोई था ही नहीं। ऐसे ही चल रहा था, अनादि से चल रहा है। पहला ऐसा कोई था ही नहीं। जो पहले है, उसका अंत भी होता है। दुनिया का आदि भी नहीं और अंत भी नहीं । प्रश्नकर्ता : जैसे जो चीज़ पैदा हुई तो उसका बीज तो पहले मौजूद होगा न दुनिया में? दादाश्री : वो बात बुद्धिजन्य है, ज्ञानजन्य नहीं है। खुदा के ज्ञान में कोई पहला था ही नहीं । प्रश्नकर्ता: मगर खुदा ने मिट्टी, पानी, आग और हवा ये चारों मिलाकर इन्सान पैदा किया है न? दादाश्री : नहीं, खुदा ऐसे बनाए तो वो तो मजदूर हो गया, फिर मजदूर में और उनमें क्या फर्क ? औलिया भी मजदूरी नहीं करता है। प्रश्नकर्ता : तो फिर ये दुनिया क्या है? दादाश्री : आप किसे दुनिया बोलते हैं? आँख से दिखाई देता है, कान से सुनाई देता है, नाक से, जीभ से और स्पर्श से, आपकी पाँच इन्द्रियों से आपको जो अनुभव होता है, उसे आप दुनिया बोलते हैं? वो सब रिलेटिव है और All these relatives are temporary adjustments. प्रश्नकर्ता : इस दुनिया का अंत है क्या? दादाश्री : नहीं, इस दुनिया का अंत कभी नहीं आनेवाला। मगर आप समसरण मार्ग में चल रहे हैं, उसका अंत आ जाएगा। जितना

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