Book Title: Jagat Karta Kaun
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 18
________________ जगत कर्ता कौन ? जगत कर्ता कौन? प्रश्नकर्ता : इतनी बड़ी दुनिया, इतना बड़ा कारोबार भगवान के बिना और कौन बना सकता है? दादाश्री : उसके पास कोई दूसरा धंधा नहीं था, इसलिए बनाया लगता है!!! प्रश्नकर्ता : जिसने भी बनाया है. उसने सोच समझकर बनाया लगता है। दादाश्री : क्यों? उसके लड़के की शादी करने के लिए लड़की नहीं मिलती थी, इसलिए उसने ये ब्रह्मांड बना दिया? प्रश्नकर्ता : तो फिर इसका क्रिएटर कौन है? दादाश्री : क्रिएटर (रचयिता) का अर्थ कुम्हार होता है। कुम्हार याने प्रजापति, जो मिट्टी के बर्तन बनाता है। भगवान कुम्हार नहीं है, भगवान तो भगवान ही है। फोरिनवाले (विदेशी) सब लोग मानते हैं कि God is the creator of this world (भगवान ही इस दुनिया का बनानेवाला है), मुस्लिम लोग बोलते हैं कि अल्लाह ने यह दुनिया बनाई, हिन्दू लोग बोलते हैं कि भगवान ने सब बनाया है। फोरिन के साइन्टिस्ट (वैज्ञानिक) हमें मिलते हैं, उन्हें हम बताते हैं कि God is the creator of this world is correct by Christian's viewpoint, by Hindu's viewpoint, by Muslim's viewpoint, but not by fact. By fact, Only Scientific Circumstantial Evidence | यदि आपको फेक्ट जानने का विचार हो. तो मेरे पास आना, अन्यथा आपको संतोष ही है न? क्या लगता है आपको? डिग्रीयाँ है। कोई धर्म ६० डिग्री पर है, कोई १२० डिग्री पर है, कोई १८० डिग्री पर है। ऐसे हर एक का व्युपोइन्ट अलग अलग है। और १४० डिग्रीवाला जो व्युपोइन्ट है वो जो देखता है, उससे २०० डिग्रीवाला भिन्न देखता है। १४० डिग्रीवाला, २०० डिग्रीवाले को बोलता है, कि तुम गलत हो और २०० डिग्रीवाले को गलत बोलता है। हम क्या बोलते हैं कि २०० डिग्रीवाला १४० डिग्री पर आ जाए और १४० डिग्रीवाला २०० डिग्री पर चला जाए। फिर वह स्थान देखकर बोलो। तो दोनो बोलेंगे कि नहीं, यह सच बात है। तुम्हारी समझ में आ गया न? मगर पूरा तो ३६० डिग्रीवाला व्युपोइन्ट है। तो जिसका जो व्युपोइन्ट है, वो उस व्युपोइन्ट से ही बोलता है, कि हमारी बात ही सच है। व्युपोइन्ट कभी कम्प्लिट (संपूर्ण) सच नहीं होता। एक क्रिस्टिअन व्युपोइन्ट है, एक मुस्लिम व्युपोइन्ट है, एक हिन्दू व्युपोइन्ट है, एक जैन व्युपोइन्ट है, मगर ये सभी व्युपोइन्ट हैं। सब एक ही बात बताना चाहते हैं। सेन्टर को जानने की, वो ही सबकी इच्छा है। मगर वो सेन्टर की बात अपने व्युपोइन्ट से देखते हैं और बोलते हैं। सब धर्म अलग-अलग डिग्री पर हैं, इसलिए सब लोगों में झगड़ा है। मगर खुदा के वहाँ झगड़ा नहीं है। खुदा के वहाँ तो क्या है, एक ही बात जानने के लिए सबका व्युपोइन्ट अलग है। लोग बोलते है, ये दुनिया भगवान ने बनाई, God is the creator of this world! ये बात तुम्हारे व्युपोइन्ट से सही है मगर फेक्ट (वास्तविकता) से 100% (शत प्रतिशत) गलत है। फेक्ट हमेशा सैद्धांतिक रहता है और व्यूपोइन्ट भिन्न होते हैं। फेक्ट में मात्र सायन्टिफिक सरकमस्टेन्शियल एविडन्स हैं। प्रश्नकर्ता : सभी धर्मों का ध्येय तो एक ही है, फिर भी ओपिनियन्स (विचारधारा) अलग अलग क्यों हैं? और सभी 'हमारा ही सच है' ऐसे क्यों बताते हैं? किसी का व्युपोइन्ट तोड़ना नहीं चाहिए। जहाँ तक फेक्ट समझ में नहीं आए, वहाँ तक उनको व्युपोइन्ट में ही रखना चाहिए और उसके लिए ही मदद करनी चाहिए। हम ऐसा ही करते हैं। उनके व्युपोइन्ट में ही मदद करते हैं। इससे वो आगे बढ़ सकते हैं। और जिसको फेक्ट दादाश्री : इस सर्कल में यह सेन्टर (केन्द्रबिन्दु) है और ये ३६०

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