Book Title: Hitshikshano Ras Author(s): Rushabhdas Shravak Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ॐ नमः सिझम् ॥ ॥ अथ ॥ ॥श्रावक झपनदासजीविरचित हित शिदानोरास प्रारंनः॥ -- - कासमीर मुखमंगणी, नगवति ब्रह्मसुताय॥तुं मा तुं नारती, तुं कविजननी माय ॥१॥ तुं स Fair तुं शारदा, तुं ब्रह्माणी सार ॥ विउषा माता ही,तुक गुणनो नहिं पार ॥२॥ हंसगामिनी तुं वाघेश्वरी तुं होय ॥ देवि कुमारी तुं सही, तुक श्रवर न कोय ॥३॥ नाषा तुं ब्रह्मचारिणी, तुं दे वाणी ॥ हंसवाहिनी तुं सही,गुण सघलानी Kar ॥४॥ ब्रह्मवादिनी तुं सही, तुं माता मति । तुं रमजे मुख माहरे,चिंत्युं काज करेह ॥५॥ ॥ ढाल ॥ चोपाईनी देशी ॥ । चिंत्युं काज करेगुं आज, तुक नामें सर्व For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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