Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास विजयसेन सूरि निर्वाण संज्झाय वैताल पच्चीसी १, ३६८ ४६८, ९९
वैताल पच्चीसी चौपई ५९९ विजयसेन सूरि निर्वाण रास वैदरभी चौपई ५५६ ४६६, ४६८
वैद्यकसार रत्नप्रकाश चौपई ४३६ विजयसेन सूरि रास-लाभोदय वैद्यकसर सग्रह ३६७ रास २११
वैद्यकसारोद्वार ५६७ विद्याविलास चौपई ४५, १८६ वैद्यक महोत्सव २५६ विद्याविलास रास ४००
वैद्य विनोद ३१० विधि कन्दली २५७
वैद्य विरहिणी प्रबन्ध ५० विधि रास २४६
वैर स्वामो संज्झाय ५०३ विनयदेवसूरि रास ३३९, ३४० वैराग्य गीत ३५८, १८३ विनय विलास ४७४
वैराग्य बावनी ४४३ विनोद चौत्रींसी कथा अथवा रास वैराग्य विनति ५२७ ५६४
- श बिमलकीति गुरु गीतम् ४३ शंकित विचार स्तवन बालावबोध बिमल प्रबन्ध २३२
१५० विमलाचल स्तवन ११७, ११०
शकुन दीपिका चौपई १६४ विविधपूजा संग्रह ३६५
शंखेश्वर स्तवन ५४९ विवेक चौपई १४१
शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तव ४९७ विवेक विलास बालावबोध ६१५ शंखेश्वर पार्श्वनाथ स्तवन २६२, विषापहार स्तोत्र ३१
२६५ विशेषनाम माला ५२९
शखेश्वर पार्श्व स्तवन ३२५, विल्हण पञ्चासिका चौपई ५३३
३२६ बृहद्गच्छीय गुवबिली ३५३
शत्रुञ्जय उद्धार रास या विमलवृहज्जिन वाणी संग्रह १७९
गिरि उद्धार रास २६१, २६४ वृहत्मजरी २३२
शत्रुञ्जय तीर्थोद्धार कल्प ३४४ वृहत्शांति वृत्ति ५६७
शशुञ्जय चैत्य परिपाटी स्तवन वृहत् स्तोत्र विधि २७५
१३५, १३१ वीर जिनिंद गीत ३१८
शत्रुञ्जय तीर्थ परिपाटी २२८ वीरसेन रास ५३
शत्रुञ्जय अथवा पुण्डरीक स्तवन वीरसेन संज्झाय २९० वीरागंद चौपई ३५२, ३५३, शत्रुञ्जय माहात्म्य रास ५२३, ३५४
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