Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहाफ संभूतिविजय ३५६
सिंह प्रमोद ५३९, १ संयममूर्ति ५६२
सिंह विजय १ संयमरत्न सूरि २५१
सिंह विमल ११ संयमसागर १०५, ५६३, १२१ सीता ३१७ समयहर्ष ४३४
सुखदेव ३५१ सागरचन्द्र ५७८
सुखनिधान ३४८ सागरचन्द सूरि ११८, १३९, १६० सुजान ४० सागरतिलक ५०६
सुधनहर्ष या घनहर्ष ५४१, ५४३ (उपा) साधुकीर्ति २०, ७३, ७६, सुधर्मरुचि ५४४
११९, १७४, १९५, १९६, सुधर्माचार्य २०९ २२६, ३४०, ४८०, ५२९, सुधर्मा स्वामी १३४, ६६ ५३०, ६१३
सुन्दरदास ५४५ साधतिलक ६११
सुन्दरदास ३०८, ३१२ साधुजी ७२
सुभद्र ५४९ साधुमदिर १४४,४३०
समतिकलश ४७७ साधरंग ५३२
समति कल्लोल ३६०, ४६९, ५४९ साधुलाभ १३९
सुमतिकीर्ति १६३, ५४९, ३८२, साधुसुन्दर २१, ४८५, ४८१
३८४, ३६७, ४५५, २३५, साधसोम २४५
३१४ सांगण ५२
समति गणि २४३ सारंग ५३२
सुमति धीर १७६ साह वच्छा २४२
सुमति मुनि ५५३ साहिब ५३४
सुमतिवल्लभ १८५, २४३ स्थानसागर ९१, ५३५
सुमतिसागर सूरि २९८, ५३२, सिकन्दर सर ३
५५४, ५५५, १९०, १९१ सिताब खान ५८४
सुमतिसाधु ४२६ सिद्धिचद ६१४, २१
सुमतिसिंधु सिंधर) ५५५ सिद्धांतरुचि २४५
सुमति सूरि १२९ सिद्धिरत्न ५७१
सुमति हंस ५५६ सिद्ध सरि ५६३, ४२८
सुररत्न ६९, ७१ सिद्धराज जयसिंह २१, ६८ सुरेन्द्रकीर्ति ३२ सिद्धसेन १८५
सुलोचना १४७ सिद्धि सूरि ५३६, ६०२, ८४ सुहमस्वामी ४२४
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