Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 699
________________ ६८० मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास विवेकहस ४९० शालिवाहन ४९४ विवेकहर्ष ४८८, २८५ शालौटेकाउजी २६६ विष्णुदास १ शाहजहाँ १६, १७, ७८, ५४६, (कवि) विष्णुदास ३१३ ५०९ विष्णु शर्मा ४५१ शिवजी ९९ विशालकीर्ति ३४९, ४९३, २०१ शिवजी गणि ३८ विशालराज ५६३ शिवजी ऋषि २४० शिवनंदन २३० विशालसोम सूरि २४१, २४०, शिवनिधान ३४७ शिवनिधान उपा० ४९४ (५०) विश्वमाथप्रसाद मिश्र ११० शिवदास (जनेतर) ४० शिवसुन्दर (पाठक) ३३० वीरकलश ५५७ शिहाबुद्दीन मुहम्मद खां ११ वीरचन्द ५३५, ४५७ शीलदेव ३५४ वीरजी २८३ शीलविजय ७८ वीरमदे १२९ वीरविजय २१२ शुभचन्द्र ५५१, २३५, २०६, ४५५, ३६७, ५०६, ४९७ वंदोशाह १२९ भट्टा० शुभचन्द्र ३१४ शुभवर्धन ५४४ शकडालल ३५६ शुभविजय ४४५, ४४६, ४९७, शक्तिरंग १६३ ४८७ शहरमार १३ शुभविमल ५९६ शांतिकुशल ४९१ शेख अली ४ शांतिचन्द्र गणि २० शेर खाँ, शेरशाह सूरी ३ शांतिचन्द्र ३६, ५८३, ३८१ शोभनमुनि ६७ शांति जिनेश्वर ६९ श्रवण ऋषि ३६३ शांतिदास शेठ १५७ श्रवण (सरवण) ४९८ शांतिदास ८९, १७८ श्रीधर (जनेतर) ४९८ (ब्रह्म) शांतिदास २३४ श्रीपत २८३, २८४ शांतिदेव ३२३ श्रीपति ऋषि १५१ शांतिनाथ ३९६, २०१, ३५ श्रीपाल ऋषि ४९९,६१४ शांतिसागर २७६ श्रीपाल ३५ शामलजी २४३ श्रीमल्लजी ९९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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