Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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६६२
क
कक्कसूरि २५६, ३३९
कडवा शाह ९ कडुवा १३२ कर्णऋषि ४४१
कनक II २६७ कनककीर्ति ६४, ६७
कनककुशल ७२, ६७ ६१४
कनकचन्द ५३५
कनकप्रभ ७९, ६७, ६८
कनकरंग ११६
कनकलाभ ७८
कनकविजय ११, ७९, १२४,
१२६, १२७
( विजयसिंह सूरि) १२८, १२९
कनकसिंह ३४७ कनक सुन्दर (गणि) ६७, ७१
कनकसुन्दर I ६८
कनकसुन्दर II ७२, ७३, कनकसुंदर ४५६
कनकसोम ६७, ७३, ४२२, ४२३ १७४ कनकसौभाग्य ७६
कपूरचन्द (ब्रह्म) ७७ कपूरचन्द चोपड़ा १
कबीर ४२, ३८०
कमलकलश २६७
कमलकीति ७८, २०६, ४९७
कमलदे १५८
कमलप्रभ ४३९
कमलरत्न १९०
कमललाभ २४५, ४०४
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मरु- गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
कमलविजय ५९५, ५९८, १२९, १२७१२५
कमल विजय I ७९, १२४, २२३
कमलशेखर (वाचक) ८०
कमलसागर ८१ कमलसोम गणि ८२, ८३
कमल हर्ष ८३ कमलोदय ८३
कम्मा ( साहु ) २१२, कम्माशाह १२५
करमचंद या कर्मचंद १२, ८३, ९२, १३१, १३२, १७५, २९३, ३३५, ४३१, ५२९
कर्मसागर ३०१
कर्मसिंह ८४
कर्माशा ९
कल्याण या कल्याण साह ८५ कल्याणकमल ८८
कल्याणकलश ८८ कल्याणकीर्ति ८८
कल्याणकुशल २११ कल्याणचंद्र ८९
कल्याणदेव ९०
कल्याणधीर २४४
कल्याणधीर (वाचक) २४६, २४७
कल्याणमल १२, ३०७, १३१,
१३२
कल्याण मुनि ८४
कल्याणरत्न २०
कल्याणविजय २३७, २३८, ३७१,
३७४, ४४५, ९०, १६४, ४९७, ५९७, ५९८
कल्याणसागर ५३५, ४७
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