Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 12
________________ विषय-सूची उपोद्घात १, १७वीं शताब्दी की राजनीतिक स्थिति २, मुगल साम्राज्य की स्थापना ३, अकबर का शैशव ३-५, साम्राज्य विस्तार ५-६, शासन व्यवस्था ६-७, आर्थिक-सामाजिक स्थिति ७-८, शिक्षा ८- ९, अकबर की धार्मिक नीति १०, हीरविजयसूरि और सम्राट् अकबर ११-१२, जिनचन्द्रसूरि और सम्राट् अकबर १२, अकबर और भानुचन्द उपाध्याय १३, सम्राट् जहाँगीर से जैन धर्म का सम्बन्ध १३, सांस्कृतिक समन्वय १३-१५, जहाँगीर १५ - १६, कला एवं साहित्य की स्थिति १६-१७, मूर्तिकला १८, चित्रकला १८, संगीत १८ - १९, साहित्य १९, १७त्रीं शाब्दी का संस्कृत प्राकृत जैन साहित्य २०-२१, नामकरण २१, जैन भक्तिकाव्य की कतिपय विशेषतायें २२, वात्सल्य २३, माधुर्य २३-२५, दास्य २५-२६, छन्द २६, अलंकार २७, प्रकृति वर्णन २८० भाषा का स्वरूप २८-३० । विक्रम की १७वीं शती के रचनाकार- -अखयराज उर्फ अक्षयराज श्रीमाल ३१-३२, अजित ब्रह्म ३२, अजित देवसूरि ३३, अनन्तकीर्ति ३४, अनंत हंस ३४, अभयचन्द ३५-३६, अभयसुन्दर ३६, अमरचन्द्र ३६३७, आणंद ३८, आनन्द कीर्ति ३८, आनन्दचन्द ३८, महात्मा आनन्दघन ३९-४१, आनन्दघन का भक्तिभाव ४१-४३, आणंदवर्द्धनसूरि ४३, आणंद विजय ४३, आणंदसोम ४४-४५, आनंदोदय ( आनंद उदय ) ४५, ईश्वर बारोट ४६, उत्तमचंद ४७, उदयकर्ण ४७-४८, उदयमंदिर ४८, उदयरत्न ४८, उदयराज ४९-५१, उदयसागर ५१, उदयसागरसूरि ५१, ऊजल कवि ५१-५२, ऋषभदास ५२ - ६४, वाचक कनककीर्ति ६४-६७, कनककुशल ६७, कनकप्रभ ६७-६८, कनकसुन्दरा ६८-७१, कनकसुन्दरII ७२, कनकसोम ७३ ७६, कनकसौभाग्य ७६-७७, (ब्रह्म) कपूरचंद ७७-७८, कमल कीर्ति ७८, कमलरत्न ७८, कनकलाभ ७८, कमल विजय I ७९, कमलविजय II ७९-८०, कमलशे वर वाचक ८०-८१, कमलसागर ८१-८२, कमलसोम गणि ८२, कमलहर्ष ८३, कर्मचन्द ८३, करमचन्द या कर्मचंद II ८३-८४, कर्मसिंह ८४, कल्याणमुनि ८४-८५, (शा) कल्याण या कल्याणसाह ८५-८८, कल्याण कमल ८८, कल्याणकलश ८८, कल्याणकीर्ति ८८-८९ कल्याणचंद्र ८९-९०, कल्याणदेव ९०, कल्याणविजय For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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