Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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( ११ ) २०९-२११, दयाकुशल २११-२१४, दयारत्न २१४-२१६, दयाशील २१६-२१७, दयासागर २१७, दयासागर या दामोदर २१७-२१९, दल्लभट्ट २२०, दर्शन विजय या दर्शन मुनि २२०-२२३, दानविजय २२३, दुर्गादास २२३-२२४, देद (जैनेतर) २२५-२६, देवकमल २२६, देवगुप्तसूरि शिष्य (सिद्धि सूरि) २२६-२२७, देवचंद २२७-२२९, देवचन्द II २२९-२३०, देवरत्न २३०-३१, देवराज २३१, देवशील २३१-३२, देवसागर २३२, देवीदास द्विज २३३. देवीदास २३४, देवेन्द्र २३४, देवेन्द्र कीति २३५-२३६, देवेन्द्र की ति शिष्य २३६, धनजी २६६, धनविजय २३७, धनविजय II २३७.२३८, धनहर्ष या सूधनहर्ष २३८२४०, धन विमल २४०-२४१, धर्मकीर्ति २४१-२०३, धर्मदास २४३२४४, धर्मप्रमोद २४४, धर्मभूषण २४५.२४५, धर्ममेरु २४५, धर्ममूर्ति सूरि शिष्य २४६, धर्मरत्न २४६, (ब्रह्म) धर्मसागर २४७, धर्मसिंह २४७-२४९, धर्महंस २४१-२५०, धर्महंस II २५०-२५१, नगर्षिगणि (नगा ऋषि) २२१-२५४, नन्दकवि २५४-२५६, नन्नसूरि २५६, नयनसुख २५६-२५७, नयरंग २५७-२५८, नयविजय २५९, नयविलास २६०, नयसागर उपाध्याय २६०, नयरत्त शिष्य २६१, नयसुन्दर २६१२६६, नबुदाचार्य २६७-२६८, नरेन्द्रकीति २६८-२६९, नवलराम २६९- ७०, नानजी २७०, नारायण [ २७१-७३, नारायण II २७३, नीबो २७४, नेमिविजय २७४, पद्मकुमार २७५, पद्ममन्दिर २७५-२७६, पद्मरत्न २७६, पद्मराज २७६.२७८, पद्मविजय २७९, पद्मसुन्दर । २.९ पद्मसुन्दर (II) २७९-२८३, पद्म सुन्दर (III) २८३. परमा २८३२८४, परमानन्द २८४, परमानन्द II २८४-८५, परमानन्द II २८५-८६, परिमल या परिमल्ल २८६-२४, प्रभसेवक २८८, प्रभाचद २८९, प्रमोदशील शिष्य २८९-९०, प्रीतिविजय २९०-२९१, प्रीतिविमल २९१-२९३, पं० पृथ्वीपाल २९३, पृथ्वीराज राठौड़ २९३-२९४, पुंजा ऋषि २९४, पुण्यकीर्ति २२४-२९१, पुण्यभुवन २९७-२९८, पुण्यरत्न सूरि २९८-२९९, (उपा०) पुण्यसागर २९९-३०१, पुण्यसागर II ३०१-३०२, प्रेममुनि ३०३. प्रेमविजय ३०३-३०५, बनवारीलाल ३०५-३०६, बाना श्रावक ३०६.३०७, बनारसीदास ३०७-३१२, बालचन्द्र ३१३, (कवि, विष्ण ३१३-१४, बीरचन्द ३१४-१६, भगवतीदास ३१६-३२०, भद्रसेन ३२०. ३२१, भवान ३२२, भानुकीति गणि ३२२, भानुमन्दिर शिष्य ३२३, भाव (अज्ञात ३२३-३२४, भावरत्न ३२४-३२५, भावविजय ३२५३२७, भावशेखर ३२७-२८, भावहर्ष ३२८, भीमभावसार ३२८-२९,
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