Book Title: Hemchandracharya mate Pravarteli Bhramanao ane tenu Nirasan Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ ६४ अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२ आप्यं, जेमा आचार्य विषे आपणी लागणी दूभाय तेवू लखाण थयुं छे. ए लखाण अहीं अक्षरशः टांकतुं छे. पुस्तकनी विगत : "हझरत मखदूम हिसामुद्दीन मुल्तानी र.अ. व दुनिया दीनकी रोशनीमें". - शुजाउद्दीन फारूकी, महम्मदी वाडा, पाटण. (प्रकाशन वर्ष के लेखक - सम्पादकनां नाम इत्यादि विगत अलभ्य छे.) ८९ पृष्ठनुं पुस्तक छे. टाइटल ३ पर 'अहकर, शुजाउद्दीन फारुकी एम छापेलुं छे. आ पुस्तक खास करीने मुस्लिम संत 'मखदूम शाह'ने केन्द्रमां राखीने बनेलुं छे. तेमनी दरगाह/रोजानी तसवीरो पण अंदर छे. आमां ते सन्तना चमत्कारोनी वात करतां हेमचन्द्राचार्य विषे जे लखाणो छे ते अहीं उद्धृत करवामां आवे छे: "और कहा जाता है के, ह. हिसामुद्दीन (क.सि.) की खानकाह (मस्जिद) के करीब एक पोशाल-जैनोंका अपासर-था । उसमे हेमचन्द्राचार्य नामका एक बडा जती - जैन साधु रहेता था । उस जती के चारसो चेले थे । वो चेले हररोझ खोराक मांगने जाया करते थे । एक रोझ उसके चेले अपनी झोलीमें जिलेबी भर कर लाये । मस्जिद की दीवार के नीचे खडे रेहकर झोली खोल कर देखा के झोलीमें कई तरहकी मिठाइयां हैं । इत्तिफाकन ह. जमालुद्दीन (क.सि.)ने मस्जिद के पेशाबखानेमें इस्तिजा करके ढेला पेशाबखानेकी दिवाल पर रक्खा था । दीवाल के नीचे वो चेले झोली खोल कर खडे थे, तो वो ढेला पवन की वजह गिर कर उस झोलीमें गिरा । सब चेलोंने झोलीको दूर फेंक दी और चिखते हुए अपने गुरुजी के पास गए । __ गुरुजीने उन चेलों को हुकम दिया के, इन लोगों को बांध कर ले आओ । कुछ चेले आए ओर मस्जिद के दरवाजे पर खडे रहे । वो हयरत ओर वेहशतमें पड़ गए । ओर बोलने की बात करने की भी ताकत न रही। दोबारा और दुसरे चेले आए । वो भी इस तरह खडे रहे गये । जती हेमचन्द्राचार्यने गुस्से होकर बहोत चेले को वहां भेजा । वो सब भी मुहतय्यर हो कर रेह गये । बोलने ओर बात करने की भी ताकत न रही।Page Navigation
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