Book Title: Hemchandracharya mate Pravarteli Bhramanao ane tenu Nirasan
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ ७४ अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२ (३) कुमारपाल ने गुरु साथे चडे तो गिरनार डोली ऊठे तेवी कथा मात्र कल्पनाकथा ज होवानुं नक्की थाय छे. उपरोक्त आखो प्रसङ्ग 'कुमारपालप्रतिबोध' ग्रन्थमा उपलब्ध छे, अने तेने आधारे ज अत्रे नोंघेल छे. आ ग्रन्थ आचार्यना जीवन माटे सहुथी वधु प्रमाणिक अने अधिकृत साधन गणाय छे. हेमचन्द्राचार्य अने क. मा. मुनशी ___ आ संसारमां नैष्ठिक ब्रह्मचर्य जेवी पण एक चीज विद्यमान छे. लाखो-करोड़ो साधकोमां कोई एकाद-बे व्यक्तिने ज आ चीज सांपडती होय छे. नखमांय विकार न संभवे, अने साव सहज-आयासविहीन निविकार स्थिति जेनामां जन्मजात होय, तेवी व्यक्ति ज आ चीज पामवाने भाग्यशाळी बने छे. आमां प्राक्तन पुण्य अने संस्कार, कुलनी खानदानी, योग्य गुरु द्वारा समुचित घडतर, सहज सत्त्वशीलता, पोतानी उभराती ऊर्जाने सद्गुरुना मार्गदर्शनपूर्वक ऊर्ध्वगामी बनाववा माटेनी जागृति अने पुरुषार्थ - आ बधां वानां मळे तो कोइ व्यक्तिमां नैष्ठिक ब्रह्मचर्य प्रगटे, अने ए चीज ए व्यक्तिने व्यक्ति मिटावी विभूति तरीके प्रस्थापी आपे. बाणभट्टे भले लख्युं होय के “किमस्ति कश्चिदसावियति लोके यस्य निर्विकारं यौवनमतिक्रान्तम् ?" अर्थात्, जगतमां विकारविहोणो जण हजी पेदा नथी थयो. परन्तु हेमाचार्य जेवी विभूतिने आ नियम लागु पडतो नथी, एम एमना जीवनने समग्रताथी जाण्या पछी, अन्ध भक्ति विना अने अनैतिहासिक बन्या विना जरूर कही शकाय. अलबत्त, स्वच्छन्द विचार अने अभिप्राय धरावनार कल्पनासेवी माणस तो गमे तेने माटे गमे ते लखी शके - बोली शके. मोटा भागे तो तेवी कल्पनामां ते कल्पना करनार आन्तरिक चारित्र्य तथा वलणोनुं प्रतिबिम्ब पडतुं होय छे.. __ वात आपणा प्रसिद्ध नवलकथाकार कनैयालाल मुनशीनी करवी छे. तेमणे सोलंकीयुगने वर्णवती नवलकथाओ लखी, तेमां काक अने मंजरी नामे बे पात्र काल्पनिक नीपजाव्यां छे. तेमां काक आगळ मुंजाल, उदयन वगेरे तमाम राजपुरुषोने झांखा पडता आलेख्या छे; काकने 'समुद्रमिव दुर्घर्ष अने

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17