________________
(६६)
पुराणें चावो अदर ले सपराणो दो राज॥१७॥ विष्णु पुराणें विष्णु जे, कान गोवाल थश्ने लोकमांहे पूजा यो हो राज ॥ बत्रीस सहस अंतेरी, ते बंमी मही यारी राधा साथें गवाणो हो राज ॥१॥ कुंता पांकु नृप तणी,लघुवयमें कुमारी सुरज देवे विलसी हो रा ज॥करण थयो ते उदरनो,जग चतु ते देवनी सदु जग माने उलसी हो राज ॥१॥ ए अवदात जे में कह्या, करमां दीपक लेइ देखी कूप के पडिया हो राज ॥ बल वंतमाहे शिरामणि, ते सरिखा पण बलिया गलिया कम नडिया हो राज ॥ २० ॥ तो माहारो कोण आशरो, तिन नुवनमें सर्वने कमै मुक्या चूणी हो राज ॥ जे पवनें गज नडिया, तेणे पवनें करी धाई मोकरी लेवा पूणी हो राज ॥ १ ॥ कुगति सुग ति जे पामवी, ते करणी सघतीनवितव्यताने हाथें हो राज ॥ जे जे समय प्राणीयें, गुनागुनना बंध जे बांध्या ते आवे साथें हो राज ॥ २२ ॥ उग्र त पस्यानो धणी, जितारि नृप जिननो रागी पूरण दु तो हो राज ॥ ते मरीने थयो सूअडो, किहां गई कर णी तेहनी तिरियंच गतिमां पहोतो हो राज॥२३॥ ॥ए अधिकार तुं जाणजे, श्री शेजा माहातम माहे
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org