Book Title: Gyansara Author(s): Bhadraguptavijay Publisher: Chintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth View full book textPage 4
________________ न्यायाचार्य न्यायविशारद महोपाध्याय श्री यशोविजयजी - विरचित ज्ञानसार मूल श्लोक, श्लोकार्थ और विवेचन सहित विवेचनकार आचार्य श्री विजय भद्रगुप्त सूरिजी म. सा. प्रकाशक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ हरिद्वार • दिल्लीPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 612