Book Title: Gyansara
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Chintamani Parshwanath Jain Shwetambar Tirth

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Page 4
________________ न्यायाचार्य न्यायविशारद महोपाध्याय श्री यशोविजयजी - विरचित ज्ञानसार मूल श्लोक, श्लोकार्थ और विवेचन सहित विवेचनकार आचार्य श्री विजय भद्रगुप्त सूरिजी म. सा. प्रकाशक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर तीर्थ हरिद्वार • दिल्ली

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