Book Title: Gujarati Hindi Kosh
Author(s): Gujarat Vidyapith
Publisher: Gujarat Vidyapith
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सट्टालोरी स्त्री० चीजोंका सट्टा-सौदी सह पुं० पाल; बादबानमा __ करनेकी लत
सणको पुं० वह दर्द जिसमें कोटासा सट्टो पुं० सट्टेबाजका सौदा, सट्टी', चुभता हो; शूल (२) [ला.] मनको सड वि० संज्ञाहीन; जड़; ठस (२) तरंग; धुन । सिमका भाववा, नाखवा, 'चकित; विस्मित; भौचक्का (३)अ० मारवा = शूल उठना.] त्वरासे; सड़ासड़
सणगार्नु अ० क्रि० देखिये 'शणगावू' संरक वि० (२)म० चकित भौचक्का सणगो पुं० देखिये 'शणगो'
(३)सड़ासड़; तेजीसे। [-पई जर्व = सणसण अ० क्रि० 'सन-सन' शब्द "हैरान रह जाना; भौचक्का, चकित उत्पन्न होना; सनसनाना .. "होना.
समसपाट पुं० सनसनाहट सरफ स्त्री० सड़क
सणसार(-रो) पुं० देखिये 'अणसार सरको पुं० देखिये 'सबडको
(२)घोड़े, बैल आदिको वेगसे हांकना, सरवं अ० क्रि० सड़ना; गलना (२) टिटकारना; सटकारना (३) लगाम
ला.] भ्रष्ट होना; सड़ना. आदिको जरा झकझोरना, झटका देना सरसठ (8,) वि० सड़सठ; ६७ सत वि० सत्य; सच्चा (२) भला; सरसगट पुं० खोलनेकी आवाज; सन- नेक ; सत् (३) जिसका अस्तित्व हो; सनाहट; 'सड़-सड़' आवाज (२) अ०
जीवित (४) यथार्य; सत्; सत्य (५) फर्राटेसे; तेजीसे; सड़ासड़।
म० अस्तित्व; सत्ता; सत्त्व (६)सत्य; सहाक अशीघ्रतासे; सड़ाकसे सट-सट
सत; सच्चाई (७) सार; सत्त्व, सत सगको पुं० चाबुककी आवाज; सड़ाक; (८) सतीत्वका बल । [-आववं, पर
सटाक (२)बीड़ी या चिलमका कश; = सच्चाईका जोश उमड़ना (२)सतीदम (३) चमड़-चभड़। -ताणवो,
त्वकी शक्तिका प्रादुर्भाव होना, प्रकट मारवो, लेवो चिलम आदिका कश होना; पतिकी मौत पर मरनेको तैयार खींचना.]
होना; सत पर चढ़ना। -बतावसड़ासर अ० सड़ासड़; तेजीसे; लगातार अपने सत्यका परचा-परिचय देना.] सरियानो पान (डि')न०ब०व० अरवीके सतजुग पुं० सतजुग; सत्ययुग • पत्ते
सतत वि० अविच्छिन्न; जो लगातार सरियाली गांठ (डि') स्त्री० अरवी हो; सतत (२) अ० हमेशा; सतत सग्यिो (डि') पुं० अरवी; घुइयाँ (२) सतपत स्त्री०, सतपताट पुं० चंचलता; उसका पता या डंडी ..
वह भाव जिसमें स्थिर न रहा जाय; सडाट ब० वेगपूर्वक; तेजीसे; सड़- चुलबुलापन. [चुलबुला; चंचल सड़ आवाज करते हुए; बिना विघ्न- सतपतियं वि० जो स्थिर न रह सके; बाधाके; निविघ्न
सतम पुं०; स्त्री० जुल्म ; सितम सगे सड़न; बिगाड़ (२) भ्रष्टा- सतसाई स्त्री० सतसई चार; खराबी; बिगाड़ [ला.] सतामणी स्त्री० सताना; हैरानी
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