Book Title: Gujarati Hindi Kosh
Author(s): Gujarat Vidyapith
Publisher: Gujarat Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 502
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org समली कहावत ; पहेली; समस्या; मसल | [- पूरवी = समस्यापूर्ति करना. ] समळी स्त्री० चील [ शमी वृक्ष समळी, समळो देखिये 'समडी; समडो'; समा स्त्री० ज्वारके अंत और भाटके आरंभके बीचकी स्थिति जिसमें पानी बारह मिनट रुकता है - समाचार पुं० समाचार; खबर समाज समाचारपत्र न० समाचारपत्र; अखबार समाज पुं० समाज; समूह; समुदाय (२) सभा; समिति ; समाज ( ३ ) समान धर्म या आचारवाला जनसमूह; समाज ( ४ ) किसी खास उद्देश्यकी पूर्तिके लिए संघटित जनसमुदाय; [ नियम आदि समाजकारण न० समाजतंत्रकी रचना, समाजिक पुं० समाजका सदस्य; सामाजिक ( २ ) प्रेक्षक; सामाजिक समाजी वि० समाजका ; सामाजिक; समाज-संबंधी (२) जो किसी समाजमें शामिल हुआ हो (३) पुं० ऐसा पुरुष; सामाजिक ( सदस्य ) समाणी स्त्री० देखिये 'समणी' समाणुं वि० समान; एकसा; सरीखा - को लागू होनेवाला (गाली) 1 383 अ० ; - के साथ; सहित समाणो पुं० बड़ी चिमटी समाधान न० समाधान; संदेह-निवारण और शांति (२) संतोष ; तृप्ति (३) ध्यान; समाधि; समाधान; इन्द्रियनिरोध (४) निबटारा होना; फ़ैसला होना; निबटाना; सुलझाना हल करना (५) समझौता ; राजीनामा । [-उपर आवबुं = समझोता करना; समझ लेना. ] ४९२ समायु समाधानी स्त्री० समाधान; निबेड़ा; फ़ैसला (२) चित्तकी शान्ति; कल; चैन (३) लड़ाई-झगड़ेका अभाव; सुलह और शान्ति समापि पुं०; स्त्री० मनको ब्रह्म पर केन्द्रित करना; समाधि; योगका अंतिम अंग (२) साधु-संन्यासीका मरण ( ३ ) समाधिस्थल पर बनाया हुआ मकान आदि; समाधि । [चडवी, थवी, मां बेसनुं, लागडी = समाधि लगना ; परमात्म-चिंतनमें तद्रूप होना; समाधिस्थ होना। -पडाववी = समाधि लगाना। -लेवी = मर जाना ( साधु-संतों या योगीका ) . ] समाप स०क्रि० पूर्ण, समाप्त करना समार पुं० मरम्मत; दुरुस्ती समार पुं० जोती हुई जमीन बराबर करनेका पटरा ; हेंगा; पटेला; मेड़ा समारकाम न० मरम्मत करना समारबुं स०क्रि० बनाना; दुरुस्त करना; सुधारना ( २ ) काटना ( तरकारी ) (३) सँवारना; बनाना (बाल) समारंभ पुं० ठाट-बाटके साथ किया . हुआ आरंभ; समारंभ (२) धूमधामयुक्त उत्सव, जलसा आदि; समारोह समालबुं स०क्रि० सँभालना; रक्षा करना समाव पुं० समाई; समाना समावडाव स० क्रि० 'समाव एका प्रेरणार्थक [ समाना समावयं स०क्रि० 'समावु' का प्रेरणार्थक; समायुं भ० क्रि० समाना; भीतर आ जाना; अँटना (२) समाविष्ट हो जाना; किसीको अनुकूल होकर स्थान प्राप्त करना; किसी संस्था या तंत्रमें कसा जाना; बैठना । [ समाई जयं = भीतर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564