Book Title: Gudartha Dohao ane Anya Samagri Paramparagat Lokvarsanu Jatan Author(s): Niranjan Rajyaguru Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ १२ प्रीतम कहे सो कीजिये, रहीये प्रीतम पास जो नही कीजे तो खरे, घणा होय विनाश सज्यन सो कोसां वसे, तो ही नेडा नीपट हजूर दूरजन तो द्वारा वसे, तो ही लाख कोस सुं दूर वीसर मत जायगी वार में वरजुं मृगनयन कुं, म्हे तने नेणां कदकीये, मन पे लीगी लजाय अथ नारीना पदरे नाम अबला, नारी, श्रीमन्तनी, रामा, वनीता, मीहीला, अंगना, कामनी, पेमंदा, माननी, कान्ता, ललना, रमणी, रामा, कोपना. - अथ चार प्रकार की स्त्री अनुसन्धान ५० (२) १. चीटी । पदमणीने पान वहालो, मान वहालो चीत्रणी, हंसतणीने ख्याल वहालो, कलह वहालो शंखणी. पदमणी तो पलक चाले, चंम चाले चीत्रणी, हंसतणी तो ठंम चाले, धंम चाले शंखणी. पदमणीनो पांव आहार, चमक आहार चीत्रणी, हंसतणी ने शेर अहार, कूंडो अहार शंखणी. हस्ती हाथ हजार तजीयें, अश्व हाथ सो दूर, शीग वाले दस हाथ तजीयें, दूरजन देशथी दूर. करिये सुखको होय दूःख, अह धोको न सयान वां सोनेकी वारीये, ता को फाटे कान जहां न ज्याके गुण लहे, तहां न ताको काम धोबी वसके क्या करे, दीगम्बर के गाम म्हारो मन माने नहीं, नेणां धरे नही धीर वरखा श्रावण मास ज्युं, टप टप टपके नीर चंगी छोटी चीत चढी, हीत कर घाली हाथ सहेनाणी सेन्हा तणी, सदा बोलावो पासPage Navigation
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