Book Title: Gudartha Dohao ane Anya Samagri Paramparagat Lokvarsanu Jatan
Author(s): Niranjan Rajyaguru
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 17
________________ मार्च २०१० कोन रंक कोन राव जडा जंजीर जडेगा, धणी मागशी ध्यान उन दिन खबर पडेगा कहे कोन दरवेश सुणो रे मूरख अंधा खुदा खमेगा नांही, बहोत मत फूले बंदा अथ गझल लिख्यते सतगुरु देव हे लाहेला सांभल वेगे इ आवेला तेरो सगो नही कोइ, दी सरंन सीरोही सेवे पाप अढारे ज्याने नरक में भारे पडशि जमकी फांस होवेला बहोत ही हांस प्राणी देख मा सो बीछाड गये संसार जे नर धरम से रता, कहे प्रेम तीन का खूब हे मता उपदेशना सवैया नर भव पायो सार धर्म कुं न लीनो लार, कुसंगत करीने तु तो जनम बिगाडेगो, साधु सन्त आव्यो देखी भुंडो भुंडो बोले, मती जूटा आल दइने तू पडदा उखाडेगो; धरमी पुरूष जति निन्दया मूढे करे मति, दुवारे आवि सतीने डुंगीसे तुं ताडेगो, ख लालचन्दजी कहे वन्दे नहि तो निन्दे मती, नहि तो तुं भंगी होय सेतुखाना झाडेगो प्रथम पाणातीपात जीवन की करे घात, वांसला सु कपि हाथ कसाइ दूध पावे रे, ज्युं तु तरेडी तरकारी काकडी करेला केरी, खवि रस वर भरी तली भुंजी खावे रे; पेला का खाइने मांस आयखा की करे आश, (२) चीडिया का जीव्हा का ग्रास पापीने सोहावे रे, २१

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