Book Title: Gudartha Dohao ane Anya Samagri Paramparagat Lokvarsanu Jatan
Author(s): Niranjan Rajyaguru
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 6
________________ १० अनुसन्धान ५० (२) शाम वदन मुख मोरली रहे कुंजवन मांय माथे वांके मूगट हे वो श्रीकृष्ण नांय (वेंगन) मुख काली अंग उजली सुंदर बहु सरूप उढन पीली पामरी माथे नही केश अनूप (कलम) सोल सहस शीष हे नेत्र बतीश हजार चोखट सहस चरण हे पंडीत करो विचार (चन्द्रमा) साख शरवर बहोत जल कमल अनन्त अपार उन जल कमल न निपने पंडित करो विचार (चक्र) कागद से कटका करे महसुं झोला खाय राजा पूछे राणीने यो कीस्यो जनावर जाय (वरवडी) (वावडी?) बाप बेटो ओक नाम, बेटो फीरे गामे गाम बेटे जाइ बेटी, जो को धूल लपेटी, बेटी जायो बाप जी को पून्य हे न पाप (आंबो) नीचे सरवर उपर तता बिचमें खबकल बाहे चलो चलो नर देखन जावां उसना नाम ये ये लाहे (होको) अंग गरम मूख चरचरा कूले सुगंधी वास बलिधारी उस रूखने समुदां बीच रही वास (लविंग) च्यार शीष बीच खोपरी शाम वरण शीरकार मूंगो मोल मंजूस में श्रोता करो विचार (लविंग) आप हीले ओर मोय हीलावे, उसका हीलन मोरे मन भावे हील हीलकि हुवा नीसंका, कहो सखी सखा सज्यन ? ना सखी, पंखा. मोकुं तो हतीको भावे, आखे-वतो' नहि सोहांवे ढूंढ ढाढके जाइ (लाइ) पूरो, कहो सखी सज्यन ? ना सखी, चूडो. ऊंची अटारी पलंग बीछायो, में सोती औ उपर आयो उसके आया हूवा आनन्द, कहो सखी सज्यन ? ना सखी, चन्द. आधी रेन वो मेरे संग जागा, भोर भइ तब बीछडन लागा उसके बीछडत फाटा मेरा हीया, कहो सखी सज्यन ? ना सखी, दीया. १. ओछो-वत्तो

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