Book Title: Gruhastha Dharm Part 02
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Akhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh

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Page 344
________________ ( ३२६ ) पर बैठा होने पर भी पक्षी वृक्ष के सहारे नहीं रहता किंतु अपने पंखों के सहारे रहता है। परन्तु बन्दर के लिए-यदि वह वृक्ष पर बैठा हो-वृक्ष ही आधार है । इस कारण वृक्ष के गिरने पर पक्षी को कष्ट नहीं हो सकता, वह अपने पंखों की सहायता से उड़ जायेगा, लेकिन बन्दर उसी वृक्ष के नीचे दब सकता है। ___ इच्छा परिमाण व्रत स्वीकार करने वाले और न करने वाले में भी ऐसा ही अन्तर होता है। इच्छा परिमाण व्रत स्वीकार करने वाला सांसारिक पदार्थों से ऐसा ममत्व नहीं करता, उनका इस प्रकार सहारा नहीं लेता, जैसा सहारा बन्दर वृक्ष का. लेता है । सांसारिक पदार्थों के छूटने पर उसे किंचित् भी दुःख नहीं होता । वह सांसारिक पदार्थों का उपयोग उसी तरह करता है, जिस प्रकार पक्षी वृक्ष का उपयोग करता । इस व्रत को न अपनाने पर अप्राप्त वस्तु के कारण भी दुःख होता है और प्राप्त वस्तू. के कारण भी। अप्राप्त वस्तु के लिए मनुष्य सदा तरसता रहता है, चिन्तित तथा दुःखी रहता है और प्राप्त वस्तु की रक्षा के लिए चिन्तित एवं भयभीत रहता है । इस बात का भय बना ही रहता है कि यह वस्तु मुझ से कोई छीन न ले, या छूट न जावे। परिग्रह परिमाण व्रत स्वीकार करने पर इस प्रकार की अधिकांश चिन्ता तथा अधिकांश दुःख मिट जाता है । वह व्यक्ति वस्तु की रक्षा की ओर से चिन्तत भी नहीं रहता तथा वस्तु के जाने से दु.खी भी नहीं होता । वह जानता है कि वस्तु का यह स्वभाव ही है। जब तक मेरे पुण्य का

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