Book Title: Gommateshwar Bahubali Author(s): Akhil Bansal Publisher: Bahubali Prakashan View full book textPage 6
________________ नीलांजना के पैर डगमगाए और वह इस ढंग से पृथ्वी पर लेट गयी जैसे वह अपनी नत्यकलाकाएक अभिनय कर रही हो TICANKl और नृत्य चलता रहा इन्द्रने रस-मंग के भय से तुरन्त वैसी हीनर्तकी खडी कर दिया सभा में किसी को पता नहीं चला पर राजा मृषभदेव सेयहरहस्य हिपा नहीं रहा जीवनकी यह नश्वरता जैसे नीलांजना का शरीर विनाशी था) वैसे ही ये सब भोगोपभोग भी अस्थाई है। AYIAL (ये आभरण केवल भाररूप है। (चन्दन का लेप मेलके तुल्य है, नृत्य पागल पुरुष की चेष्टा है और गीत संसार की करुण Poदशा का रुदन है, क ऋषभदेवने संसार त्याग कर तपश्चरण करने का दृढ संकल्प कर लिया।Page Navigation
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