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(सन 981 मे) गंगनरेश के प्रधान मंत्री और सेनापति चामुण्डराय अपनी मां की इच्छा पूर्ति करने अपने गुरु नेमिचन्द्राचार्य के नेतृत्व में महाराज भरत द्वारा स्थापित पोदनपुर में विराजमान भगवान बाहबली के दर्शनार्थ गए।
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28 विन्ध्य गिरि /स्वप्न में कष्मांडिनी देवी तुमबाण छोडो जहां पर विश्राम/ने कहा- पोदनपुर में मूर्ति गिरे वहींनई मूर्ति
कादर्शन नहीं हो पाएगा। का निर्माण करो।
बाण एक शिला से टकराया। उसी विशाल शिला को
तराशकर मूर्ति बनाई गई।