Book Title: Gommateshwar Bahubali
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Wapcicidaa. hary गोम्मटेश्वर बाहुबली श्री Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय (द्वितीय संस्करण) बाहुबली प्रकाशन , जयपुर द्वारा प्रकाशित चित्रकथाओं की श्रृंखला में तृतीय पुष्प के रूप में प्रकाशित 'गोम्मटेश्वर बाहुबली' चित्रकथा का यह द्वितीय संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें हार्दिक प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इसके पूर्व ‘कविवर बनारसीदास' तथा 'कहान कथा : महान कथा' चित्रकथाएँ प्रकाशित की गईं थी जो अल्पकाल में ही समाप्त हो गई। उनके भी द्वितीय संस्करण हम शीघ्र प्रकाशित कर रहे भगवान बाहुबली चक्रवर्ती भरत के भ्राता एवं प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पुत्र थे। अपने स्वाभिमान और राज्य रक्षा का दायित्व निर्वाह करने के लिए उन्हें अपने भाई भरत से द्वन्द्व युद्ध करना पड़ा। भरत को पराजय का सामना करना पड़ा जिससे वे प्रतिशोध की अग्नि में जलने लगे और बाहबली पर चक्र चला दिया। चक्र जब बाहुबली की प्रदक्षिणा कर वापस लौट गया तो भरत की लोकनिन्दा हुई। यही घटना बाहुबली के वैराग्य का कारण बनी और उन्होंने राजपाट त्यागकर जिन दीक्षा ले ली। भगवान बाहुबली केवलज्ञान प्राप्त कर सर्वप्रथम मोक्षगामी हुए। भगवान बाहुबली की रोचक गाथा को इस चित्रकथा में बड़े ही आकर्षक ढंग से बालहंस के सम्पादक श्री अनन्त कुशवाहा ने अपनी तूलिका से सजाया है। आपको तथा आपके नन्हें मुन्नों को चित्रकथा रोचक लगेगी ऐसी आशा है। यह भी प्रसन्नता का विषय है कि राजस्थान से सर्वाधिक बिक्री वाले दैनिक राजस्थान पत्रिका द्वारा प्रकाशित बालहंस पत्रिका में भी यह चित्रकथा धारावाहिक रूप में अभी हाल ही में प्रकाशित हुई है। जिसे बच्चों ने काफी पसन्द की है। अब हम शीघ्र ही नयी चित्रकथा ‘आचार्य श्री विद्यानन्द' लेकर आपके समक्ष उपस्थित हो रहे हैं। आप सभी भगवान बाहुबली के सदृश त्यागमय जीवन अपनाकर सुख शान्ति प्राप्त करें , इसी भावना के साथ - . अखिल बंसल ३२०० प्रथम संस्करण : (दिसम्बर ९०) द्वितीय संस्करण : (३१ जुलाई १९९४) - योग : २००० मुद्रक : बाहुबली प्रिन्टर्स लालकोठी, जयपुर प्रकाशक : बाहुबली प्रकाशन लालकोठी, जयपुर-१५ फोन : ५१५४८० चित्रांकन : अनंत कुशवाहा -- ५२०० मूल्य : ५ रुपया शब्दांकन : अखिल बंसल । Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोम्मटेश्वरबाहुबली आलेख- अखिल बंसल चित्रांकन- अनन्तकुशवाहा इसभरत क्षेत्र में भोगभूमि की अवस्था बदलने तथा कर्म भूमि की व्यवस्था प्रारम्भ होने पर 14 कुलकर हुए है। इनमें अंतिम कुलकर थे राजानाभि राय । वे अपनी पत्नी मरुदेवीके साथ अयोध्या में राज्य करते थे। उनके पुत्र थे ऋषभदेव । AILAIN TNA Faceale राजा नाभिरायने ऋषभदेव का विवाह कच्छ और महाकच्छ की यशस्वती बहनों नन्दी और सुनन्दा से कर दिया। ITINDIA MRITINVERINI Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | विवाहोत्सव में प्रजाजनों ने बड़ी खुशियां मनाई। समय बीतता गया... यशस्वती ने | भरत आदि १०० पुत्रों तथा ब्राह्मी नामक पुत्री को जन्म दिया। | सुनन्दा से बाहुबली पुत्र और सुन्दरी नामक पुत्री उत्पन्न हुई । नाभिराय अपने राज्य का भार ऋषभ देव के कंधों पर डाल कर निश्चिंत होगये। राजा ऋषभदेव ने असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, शिल्प, विद्या आदि कार्यों का उपदेश देकर जन सामान्य को ज्ञान कराया । Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऋषभदेवने अपने बड़े पुत्र भरत को अर्थशास्त्र एवं नृत्यशास्त्र, KIVIANAMA वृषभसेनको गंधर्वशास्त्र, FM अनंतविजय को चित्रकला, STMबाहुबली को कामशास्त्र, आयुर्वेद ,प्यनुर्वेद,रत्नपरीक्षा,अश्व परीक्षा, हस्ति परीक्षा आदि शास्त्रों में तथा शेष पुत्रों को भी अनेक शास्त्रों में निपुण किया, DMC ७ समय बीतता गया, एक दिन राजसभा में नीलांजना नामक अप्सरा नृत्य कर रहीथी, . FACCRH Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नीलांजना के पैर डगमगाए और वह इस ढंग से पृथ्वी पर लेट गयी जैसे वह अपनी नत्यकलाकाएक अभिनय कर रही हो TICANKl और नृत्य चलता रहा इन्द्रने रस-मंग के भय से तुरन्त वैसी हीनर्तकी खडी कर दिया सभा में किसी को पता नहीं चला पर राजा मृषभदेव सेयहरहस्य हिपा नहीं रहा जीवनकी यह नश्वरता जैसे नीलांजना का शरीर विनाशी था) वैसे ही ये सब भोगोपभोग भी अस्थाई है। AYIAL (ये आभरण केवल भाररूप है। (चन्दन का लेप मेलके तुल्य है, नृत्य पागल पुरुष की चेष्टा है और गीत संसार की करुण Poदशा का रुदन है, क ऋषभदेवने संसार त्याग कर तपश्चरण करने का दृढ संकल्प कर लिया। Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ज्येष्ठ पुत्र भरत, जिनके नाम पर .. युवराज बाहुबली को पोदनपुरका इस देश का नाम भारत पड़ा को राज्य प्राप्त हुआ.अन्य पुत्रों को भी अयोध्या का राज्य तया... विभिन्न देशों का राजा घोषित किया गया. NTRA.COM Wave PUR ऋषभदेव ने सब कुछ त्याग कर वैराग्य धारण कर लिया ओर मुनि बनगये, S JJA 'मुनि ऋषभदेव राजर्षि भरत को बधाईह ने केवलज्ञान तीन शुभसमाचार. महाराज। प्राप्त किया, कंचुकीने पुत्रोत्पत्ति का समाचार दिया, धर्माधिकारी से, मृषभदेव का ) केवलज्ञान प्राप्त होने की, शुभ )। सूचना मिली आयुधशाला के रक्षक ने चक्ररत्न प्राप्त होने का समाचार दिया. AD Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हम भगवान ऋषभदेव की वन्दना करने चलेंगे चर्म पुरुषार्थ,अर्थ पुरुषार्थ और काम पुरुषार्थ का फल मुझे एक साथ प्राप्त हुआ है किसका उत्सव पहले मनाए.... धर्म पुरुषार्थ अधिक महत्वपूर्ण है.duce TILON समवसरण में जाकर महाराज भरतने भगवान ऋषभदेव की वन्दना की और .. CCAN R भरत ने चक्र रत्न का उत्सव मनाया। अयोध्या लौट कर भरत ने चक्ररत्न की पूजा की... ..और फिर पुत्र का जन्मोत्सव मनाया. भरतने दिलखोलकर दान दिया। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चक्रवर्ती पद के नियोग स्वरुप.भरतने दिग्विजय के लिये प्रस्थान किया, radAMIN VIT Thui ImAJA r महाराज भरत की जय! "urlamma • now eOLA गंगा से समुद्र तट के बीच के छोटे मोटे राजाओ ने भरत की सुदृढ़ सेना कसमक्षा अधीनता स्वीकार कर लेना ही उचित समझा. MA Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 00 राजाओं ने भरत को बहुमूल्य वस्तुएं भेंट की, (दक्षिण में कलिंग से केरल तक के प्रदेश में, विन्ध्याचल, नर्मदा पार कर, सौराष्ट्र में गिरनार पर्वत तक भरत की अधीनता स्वीकार कर ली गयी. Inks सिंधुनदी पार विजयार्ध पर्वत, चिलात तथा आवर्त के म्लेच्छ, तथा हिमवान पर्वत तक भरत की विजय दुंदुभी बजी. किसी ने प्रतिरोध का साहस नहीं किया. लवण द्वीप के स्वामी मागधदेव ने भारत की अधीनता स्वीकार की. उठो मागध देव Cha amm SNE की है allaacccarce Allie Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिग्विजय के बाद भरत अयोध्या वापस लौटे तो आश्चर्य उनका चक्र द्वार पर ही रुक गया ऐसा क्यों पुरोहितजी? आपके भाइयों ने। विशेषत: बाहबलीने आपकी अधीनता स्वीकार नहीं की है. ( पा . मंत्रीजी, भाइयों के पास दूत भेजिए, अब केवल भरत ही इस पृथ्वी का शासक है, उन्हें भी मेरे चक्रवर्ती पने की अनुमोदनाकर देनी/ जी आदेश महाराज।) चाहिए। महाराज, कोई भीराजपुत्र आपके समक्ष झुकने को तैयार नहीं है। सभीने राज्य त्यागकर भगवान ऋषभदेवसे जिन दीझालेली है। भरत के अनुज वाहबली,जो पोदनपुर के राजा थे,भरत का संदेश सुनकर मुस्करा उठे भरत को अहंकार हो W गया है। मुझे पराजित किये बिना चक्रवतीनिहीं बन सकेंगे. ००० प्पा HILE AM Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंत्री गुणवसंत, पोदनपुर के निकट भरत और बाहुबली | भरतको उत्तर || की सेनाएं आमने-सामने खड़ी हो गयी। दिदो हम युद्ध भूमि में मिलेंगे। ४ 'जो आदेश महाराज (रुकिए वीरवर युद्ध से पूर्व दोनो पक्ष । के मंत्रीगण आपस में वार्ता करना चाहते है। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0 प्रधान मंत्री दक्षिणांक, व्यर्थ रक्तपात क्यों हो? दोनो भाई द्वन्द्व -) युद्ध कर लें. हां कलकंठ, यही निश्चित तो "होना है कि दोनो में श्रेष्ठ कौन है, दृष्टि, जल और मल्ल युद्ध से निर्णय हो जायेगा 'हमने सर्वसम्मत निर्णय लिया है कि आप दोनो भाइयों में धर्म युद्ध हो पूछिये, भरते को यह स्वीकार है ? मैं इसे सहर्ष स्वीकार करता हूँ, मैं रणक्षेत्र का अनुभवी हूं और फिर चक्ररत्न मेरे पास है, मैं बाहुब परास्त कर दूंगा. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धर्मयुद्ध के निर्णायक चुन लिए गये और बाहुबली त्या भरत शक्ति परीक्षण के लिए सन्नद्ध होगये. सर्व प्रथम दृष्टि युद्ध एक) यहहश्य फिर कभी दूसरे की आखो में तब तक (देखने को नहीं मिलेगा. देखते रहना जब तक किसी की दृष्टि न झुके । AAD ATNA इस अनोखे युद्धको देखने के लिये लोगों की भीड़बढ़ती गयी. बाहुबली लम्ब थे. दृष्टि युद्ध में वे अपलक ताकते रहे पर भरत की गर्दन दुखने लगी, उनकी पलकें झपकने लगी और अन्तत: वेहार गये. Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दृष्टि युद्ध के बाद जलयुद्ध, भरत पूरी शक्ति से बाहुबली पर पानी फेंकते रहे पर वे अडिग खड़े रहे, Readlocals बाहुबली ने पानी उछाला तो थपेड़ों को सहना भरत के वश की बातनहीं थी, AKAM जल-युद्ध में भी भरत कोहार माननी पडी Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | चारो ओर बाहुबली कीजय के नारे गूंजने लगे। । बाहबली कीजय lisicer CASTINATHARTHVALIRAIL भरत की सेना चुपचापथी। बाहुबली की सेना विजय गान कर रही थी। अभी विजय शेष है। यह विजय) गान बन्द करो। 14 Geled भाई के हृदय में दुख (है तो मुझे ऐसा सुख नहीं चाहिए। Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभी मल्लयुद्ध शेष है। मैं कितना बलवान हूं यह ..... राजसपदा और वैभव भाई को भाई से लड़ा देता है । अपनी हार मान लो । बाहुबली को बता दूंगा।) 15 भरत ने बाहुबली को ठेला । कैसे मान लूं ? अब मेरा भी दांव देखो । Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहुबली ने भरत को कमर से पकड़ कर ऊपर उठा लिया। तुम्हें चाहे जहां फेंक सकता हूं (लेकिन मैं अनुज हूं,सदा प्रणामकरुंगा।। 16 अपमाना (भूमि पर नहीं गिराऊंगा। से कंधे पर बिठाउंगा। OOR महापराक्रमी बाहुबली बाहुबली की विजय की जय Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मेरी विजय नहीं, चक्रवर्ती भरत, की विजय । यही पूर्ण पराक्रमी,योद्धा) पृथ्वीपति है। भरत अपनी हारका अपमान मैं अपने चक्ररत्न नहीं सह पा रहे थे। का आह्वान करताहूं।। (अभी नहीं । हमारा युद्ध बाहुबली समाप्त हो गया। Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भरत के आह्वान पर चक्र प्रकट हो गया । चक्र ने बाहुबली की तीन परिक्रमा की और... अब बाहुबली नहीं बच सकता। मैं उसका संहार करूंगा। यह मेरा अंतिम शस्त्र है। 1000000 चरणों में गिर गया । हैं! चक्र 18 निष्प्रभ कैसे होगया ? Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुझसे भरतका अपमान हआ। मै अब राज्य सम्पदा । मैं कैसे प्रायश्चित कर का यह भार नहीं धरूंगा। IVIADEORIA मैं सब वैभवका त्यागकरूंगा। (अविनाशी पद प्राप्त करूंगा।। मै नग्न दिगम्बर वेश) धारण करूंगा। . (मुझसे महाअपराध हुआ। आपका अनुज) इतनी विनम्रता! हूं। क्षमा कर दीजिए। Mm Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुज बाहुबली, मैं अपने निंदित कार्य नहीं भ्राता श्रेष्ठ, मै से बहुत दुखी हूं। मुझे क्षमा कर मुनि बनूंगा। अपना राज्य सम्भालो। 20 बाहुबली ने अपने VIDI पुत्र महाबल को राज्य सौंप दिया और... Vil अपने मुकुट,कुन्डल, आभूषण उतारने लगे। (महाराज महाबल की जय! NWR DIU Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहुबली सभी वस्त्राभूषण उतार कर दिगम्बर बन गए। pun + उन्होंने अपने केश लुंचन कर लिए। अचल होकर तप करने के लिए वे वन में चल दिए । aww Leave Juan am + 21 mman Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ स्थिर,तपलीन बाहुबली की देह पर पक्षियों ने घोंसले बना लिए। लताएं लिपट गई।जंगली पशु उनके पांवों के पास ठहरते वैर भाव भूल कर विचरण करते। PORN YCOM AU NEMAT NEXANI Altd 22 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहुबली कृशकाय होगए थे। तप के प्रभाव से सभीजीव शरीर प्रभासे दीप्तमान था। अहिंसक हो गए थे। में अखण्ड,00 अभेद्यह। KANIACINER 23 DITTE देवी-देवता, मुनिराज का देविया लताए हटाती। दयालुता से तपदेख करचकित थे। पक्षियों को दूर करती। API) .........V एकवर्षबीत गया पर केवल ज्ञान प्रकट नहीं हुआ। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजा भरत और प्रजा मुनिराज में ज्ञानालोक भगवान ऋषभ गण विचारमग्न थे। क्यों नहीं प्रकट होरहा? देवसे पूढें। DOOOG 24 PATI राजा भरत प्रजागणो के साथ बाइबली के मन में तनिकसी फांस कैलाश पर्वत पर गये। है। वे सोच रहे हैं कि वे भरत की शासित भूमि पर खड़े है। IM ..... Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दूर उनके मन से यह विकल्प हो जाएगा तो उन्हें ज्ञान प्राप्त हो जाएगा। यह विकल्प छोड़ दीजिए कि मैं किसकी भूमि पर खड़ा हूं । (2) (MM weny Chilla हम मुनिराज को बताएं 111111 25 यह भूमि न किसी की रही, न किसी के साथ जाएगी फिर चित्त में दुविधा कैसी ? 125 GOODC KUTAMM Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाहुबली के हृदय से विभाव हट गए। उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त होगया । देवतागण पुष्प वर्षा व दुंदुभि नाद करने लगे । (), ३ 26 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाराजा भरत और देवगण गन्धकुटी में विराजमान भगवान बाहुबली की पूजा करने लगे । 04 भगवान बाहुबली की जय, 27 भगवान बाहुबली के चरणों के नीचे कमल उगते चले जाते हैं। वह कैलाश पर्वत पर भगवान आदिनाथ की सभा में पहुंच गए। Г 1311 Do 99 அ भगवान बाहुबली आदियुग में सबसे पहले मोक्ष प्राप्त करते हैं । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (सन 981 मे) गंगनरेश के प्रधान मंत्री और सेनापति चामुण्डराय अपनी मां की इच्छा पूर्ति करने अपने गुरु नेमिचन्द्राचार्य के नेतृत्व में महाराज भरत द्वारा स्थापित पोदनपुर में विराजमान भगवान बाहबली के दर्शनार्थ गए। . 28 विन्ध्य गिरि /स्वप्न में कष्मांडिनी देवी तुमबाण छोडो जहां पर विश्राम/ने कहा- पोदनपुर में मूर्ति गिरे वहींनई मूर्ति कादर्शन नहीं हो पाएगा। का निर्माण करो। बाण एक शिला से टकराया। उसी विशाल शिला को तराशकर मूर्ति बनाई गई। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैसूर के श्रवणबेलगोला में बाहुबली की दिगम्बर मूर्ति (57 फुट ऊंची) खड़गासन में शोभित है। दसवीं शताब्दी | में चामुण्डरायनेयह मूर्ति बनवाई थी। 29 प्राय: 12 वर्ष बाद भगवानबाहबली का महामस्तकाभिषेक होता है। WILLSUMAN onanon COC Hindi no भगवान बाहुबली के तपोमय जीवन से प्रभावित होकर " हजारों लोगों ने स्थान स्थान ARY पर उनकी प्रतिमाएं स्थापित है। की है। भगवान बाहुबली की मूर्ति यह बताती है- यदि सुख - शान्ति चाहते हो तो त्याग का मार्ग अपनाओ।' ॐ समाप्त Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूल्य-५रुपये Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मूल्य-५रुपये गोम्मटेश्वर बाहुबली INUMODEN Oc SO B ला andolan DURA AAPr