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हम भगवान ऋषभदेव की वन्दना करने
चलेंगे
चर्म पुरुषार्थ,अर्थ पुरुषार्थ और काम पुरुषार्थ का फल मुझे एक साथ प्राप्त हुआ है किसका उत्सव पहले मनाए.... धर्म पुरुषार्थ अधिक महत्वपूर्ण है.duce
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समवसरण में जाकर महाराज भरतने भगवान ऋषभदेव की वन्दना की और ..
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भरत ने चक्र रत्न का उत्सव मनाया। अयोध्या लौट कर भरत ने चक्ररत्न की पूजा की...
..और फिर पुत्र का जन्मोत्सव मनाया. भरतने दिलखोलकर दान दिया।