Book Title: Gommateshwar Bahubali
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 11
________________ दिग्विजय के बाद भरत अयोध्या वापस लौटे तो आश्चर्य उनका चक्र द्वार पर ही रुक गया ऐसा क्यों पुरोहितजी? आपके भाइयों ने। विशेषत: बाहबलीने आपकी अधीनता स्वीकार नहीं की है. ( पा . मंत्रीजी, भाइयों के पास दूत भेजिए, अब केवल भरत ही इस पृथ्वी का शासक है, उन्हें भी मेरे चक्रवर्ती पने की अनुमोदनाकर देनी/ जी आदेश महाराज।) चाहिए। महाराज, कोई भीराजपुत्र आपके समक्ष झुकने को तैयार नहीं है। सभीने राज्य त्यागकर भगवान ऋषभदेवसे जिन दीझालेली है। भरत के अनुज वाहबली,जो पोदनपुर के राजा थे,भरत का संदेश सुनकर मुस्करा उठे भरत को अहंकार हो W गया है। मुझे पराजित किये बिना चक्रवतीनिहीं बन सकेंगे. ००० प्पा HILE AM

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