Book Title: Gita Darshan Part 07 Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House Puna View full book textPage 2
________________ म नुष्य जाति के इतिहास में उस निगूढ़ तत्व के संबंध में जितने भी तर्क हो सकते हैं, सब अर्जुन ने उठाए; और शाश्वत में लीन हो गए व्यक्ति से जितने उत्तर आ सकते हैं, वे सभी कृष्ण ने दिए। इसलिए गीता अनूठी है। वह सार-संचय है, वह सारी मनुष्य की जिज्ञासा, खोज, उपलब्धि, सभी का नवनीत है। उसमें सारे खोजियों का सार-अर्जुन है। और सारे खोज लेने वालों का सार-कृष्ण हैं। कृष्ण एक गहन समन्वय हैं। उन्होंने भारत में जो भी जाना गया था तब तक, उस सब को गीता में समाविष्ट कर लिया है। उनका किसी से कोई विरोध नहीं है। वे सभी के भीतर सत्य को खोज लेते हैं। इसलिए गीता सार-ग्रंथ है। वेद अगर भूल जाओ, तो चलेगा; क्योंकि जो भी वेद में सार है, वह गीता में आ गया है। महावीर विस्मृत हो। जाएं-चलेगा। क्योंकि महावीर का जो भी सार है, वह गीता में आ गया है। सांख्य-शास्त्र न बचे-चलेगा। गीता में सारी बात महत्व की आ गई है। अगर भारत के सब शास्त्र खो जाएं तो गीता पर्याप्त है। कोई भी प्रज्ञावान पुरुष गीता से फिर से सारे शास्त्रों को निर्मित कर सकता है। गीता में सारे सूत्र हैं। गीता निचोड़ है। __गीता अकारण ही करोड़ों लोगों के हृदय का हार नहीं हो गई है। -ओशोPage Navigation
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