Book Title: Gahuli Sangrahanama Granth
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 2
________________ ॥अथ॥ ॥श्री माहावीर स्वामीना पांच वधावा प्रारंज॥ ॥ तत्र॥ ॥ वधावो पहेलो॥ ॥हुँतो मोही रे नंदना लाल,मोरली तानें रे॥ए देशी॥ वंदी जगजननी ब्रह्माणी,दाता अविचल वाणी रे॥क व्याणक प्रजुनां गुणखाणी, थुणशुं उलट आणी॥ एह ने सेवोने ॥१॥ प्रज्जु शासननो सुलतान ॥ एहने सेवोने ॥जस इंछ करे बहु मान॥ एहने सेवोने ॥ एतो नवो दधि तरण सुखाण ॥ एहने सेवोने ॥२॥कीधुं त्रीजे नव वरथानक, अरिहा गोत्र निकाच्युं रे॥ते अनुसर वा वरवा केवल, करवा तीरथ जाचुं । एहने ॥३॥ कल्याणक पहेले जगवखन, त्रण झानीमाहाराय रे॥ दशमा स्वर्ग विमानथी प्रजुजी, नोगवी सुरनुं श्राय ॥ एहने ॥४॥ जंबु छीपें नरत क्षेत्रमा, क्षत्रिकुंड सुखकार रें॥श्री सिझारथ त्रिशला उदरें, लेवे प्रजु अवतार ॥ एहने ॥ ५ ॥ चउद सुपन देखे तब त्रिशला, गज वृषनादि उदार रे ॥ हरखी जागी चिंते मनमां, माने धन्य अवतार ॥ एहने ॥६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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