Book Title: Epigraphia Indica Vol 34
Author(s): D C Sircar
Publisher: Archaeological Survey of India

Previous | Next

Page 305
________________ 290 [VoL.XXXIV · EPIGRAPHIA INDICA 38 कृती भूभारसर्वसहाः*] ॥ [१०*] तद(त)स्तदनुजः [श्री39 म[]जातः सखमभूपतिः [*] प्रसंनपुण्य40 लक्ष्मीका(कः) प्रकृत्यं(त्य)व दयापरः [॥ ११*] अस्य [त] Second Plate : Second Side 41 स्येति यत्या (त्या)गे न भेद उपलभ्यवेः (ते) [*] कस्य त- 42 तु(न्) नैव तत्कस्य तेजः सु(शु)चि ।' हिमा43 ने:तिः) ।। १२*] किं नाम चित्रचरिताः*] स्तु(स्तू) यते रो(रा)ज44 कुंजरः । नित्यप्रव (व)त्तदातो (नो)पि नैति यो मत्त45 वाभ्य (च्य)ता (ताम्) ।। १३*] स हि सहजसांकृ (क)मिकोभयगु46 णग्रामम गरिमसमावर्जित]प्र47 जानुरागचंद्रोदयोर्ला (ल्ला)सनिरंतार48 परिवद्ध(द)माम (न) साम्राज्यसा--- 49 सुस्थित'महालक्ष्मीविलाससुखासि50 [का]सम्यमनप्रसंनगंभीरनिरातंक61 निस्क (एक)लंकवृत्तवृत्तिम(म)हाराजाधिराजाः] 52. शंखमदेवः निव (ब)हुरद स्री (श्री)को - - - [श्वर]-- 53 स्य चिरंतनप्रतिष्टि (ष्ठि)तस्य पूजा[] प्रवर्ते (वृत्ते)54 सु(षु) गृहक्षेत्रेषु पिंडादानरूपेण देवस्य अं55 गभोगरंगभोगखंडस्फुटितजीर्णोद्धा56 रादिनिमित्तं तारिकाडकंपण अंकुलगे ऐव67 तरमध्यस्थितबोब्बुलवद्धनामधोय] (यं) पुनर्दा58 नस्य पराभवसंवत्सरद मार्गसि (शि) रासु(शु)द्धपं69 चमि (म्यां) सोमवार(रे) भरणि (णी) नक्षत्रव्यती[पा]तयो 1 Tho danda is unnecessary. . [The akshana is redundant.--Ed.) The intended reading may boodpara-samutthila.-Ed.] * The iutended reading is apparently Kofilihgtsvara.-Ed.)

Loading...

Page Navigation
1 ... 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384