Book Title: Dwadash Koshanam Sangraha Author(s): Publisher: View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - मेदिनीकोशः 5 कत्रिः कालिकाचंडिकाभेदेकायरश्चिकपत्रयोः 65 क्रमदे| यवस्तुमूल्येधूसरीनवमेघयोः पटोलशारवारोमालीमासीका काशिवासच घर मेघावलोचकिपाकोमहाकालफलान|| योः कीचकोदैत्यभिहातहतसस्वनवेशयोः६७ कीटकः कृमिजातीनानिष्टुरेनरन्यवत् कुलकेतुपटोलेस्यात्सवड्॥ श्लोकसंहतो 68 पुंसिवल्मीककाकंदुकुलश्रेष्ठेषुकथ्यते / शल्लक स्त्रिषुनीचऽल्पेकुशिकोमुनिसर्जयोः 69 कषा ककपिवन्ार्केनापरोत्तापिनित्रिषु कुलिकोनागभेदेस्यादु। भदेकुलसत्तमे 70 क्षुरक कोकिलासेस्याहो रेतिलक द्रुमे कूपको गुणरक्षेस्यात्तैलपात्रककंदुरे 71 उदपाने ऽच्युतायातुकूपिको भोगतोपले कूलकनस्त्रियस्तूिप सिस्यात्काभेपर्वते 72 कृचिकाचिकायांचतूलिकायोll चकुडाले कपादोकुडकेक्षारविरुतावपियोषिति 73 कृष| कापुंसिफालेस्यात्कर्षकेत्वभिधेयवत् कोरकोऽस्त्रीकुमा लिस्यात्तकोलकमणालयोः 74 कौतुकंवभिलाषेस्यादुर त्सवेनमहर्षयोः तथापरंपरायातमंगलेचकुतूहले 75 वि वाहतूत्रगीतादिभोगयोरपिनयोः कौशिकोनकलेव्याल ग्राहेगगुलशुक्रयोः 76 कोषज्ञोलूकयोश्वस्यादिश्वामित्र मुनावपि कोषिकीचंडिकायोचनदीभेदेचयोषिति ७ख नकोनोंदरोसंघिचौरेत्रिचवदारके खड़िकोमहिषीक्षीरफे नशोनिक्योरपि 78 स्यातवालकस्तुपाकेशिरस्त्रवल्मीक पूगकोशेषु गणिकायूथीवैश्यभीतकरिघुनातुदैवते 79 थिकपिपलीमूलेगुगलग्रथिपर्णयोः करीरसिदैवतेसह ॥देवाज्यपांडवे 80 गंडक मिस्वतेस्यात्संरल्याविद्याप्रभेद योः अवछेदेंतरायेचगंडकीसरिदंतरे 51 ग्राहकोघा| तिविहगेधान्यानोचगृहीतरि गोधिकोलेखक पिस्यात्सुग - - - - - For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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