Book Title: Dwadash Koshanam Sangraha
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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मेदिनीकोशः - %33 % ema / - धिव्यवहारिणि 2 गंडकोमलनेधूलोकलोक्तिस्नेहपात्र योः गृह्यकोनिनकेछेके गैरिकंधातुरुक्मयोः 83 गोल|| कोविधवापुत्रेजारातस्या मालिकेगड़े गोरंकुस्यात्पुमा न्यक्षिभेदलग्नकबंदिनोः 24 चषको स्त्रीसरापात्रेमधु मद्यप्रभेदयोःचलकाप्रसृतौभांडभेदेचुलुकवत्पुमान् / 85 चतुष्कीमसकहर्योपुष्करिण्य तरेपिच चारकःपा लके वादेः स्यात्संचालकबंधयोः 86 चित्रकतिलके नातुव्याघ्रभिचंचुपादिषु चुंबकश्वबनपरेधूर्तायस्कोतयो। रपि 57 बहुग्रंथैकदेशजेधेटस्योहावलंबने चुल्लकी शिशुमारे पिकुंडीभेदेकुलोतरे 88 चलिकानाटकस्या गेकर्णमूलचन्हस्तिनां चूतक कूपकेप्याजनक:पितभू भुजाः 19 जैबूक फेरवनीचेपश्चिमाशापतावपि जतु का जिनपत्रायांजेतुकंहिंगुलासयोः०० जाहको घों घमारिरवद्वांकासंडिकासंचजालके कोरकेदभेकुला यानाययोरपि 91 नपुसिमोचकफलेस्बियोतुवसनातरे गि रिसारजलोकायामपिस्याविधवास्त्रियां 92 भटानामश्म ॥रचितांगरक्षिण्याचजालिका जालिकोवाच्यवद्रामजा लिजालोपजीविनोः 93 जीवकःप्राणकेपीतशालरुप ॥णयोरपि वर्चशी पिसिस्यादाजीवेजीविकामता९४ विषुसेविनिरध्याशिजीविनोरादितुंडिके झल्लिकाहर्तनपट स्त्रियांद्योतेचझिल्लिका 95 आतपस्यरुचौझिट्याटुंदक शोणकाल्पयोः डिबिकाजलबिंबेस्यान्मोणकेकामुकरिना या 96 तंडकःखेजनेफेनेसमासप्रायवाचिच गृहदा रुतरुस्कंधमायाबहलकेष्वपि 97 तक्षकस्तुपुमान्नाग राजभेदेचवईको तारकोदैत्यभिकर्णधारयोर्नरयो१शि 98 कनीनिकायामृक्षेचनपुमास्त्रातरित्रिषु तिलकोद्र - - - - For Private and Personal Use Only

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