Book Title: Dvadashar Naychakra ka Darshanik Adhyayana
Author(s): Jitendra B Shah
Publisher: Shrutratnakar Ahmedabad

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Page 217
________________ २०० द्वादशार-नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन २१. ऋग्वेद संहिता : हरियाणा साहित्य संस्थान्, रोहतक (हरियाणा) प्रथम, विक्रम सं० २०४१. २२. कहावली : अप्रकाशित २३. गणधरवाद : पं० दलसुख मालवणिया, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, जयपुर, प्रथम संस्करण, १९८२. २४. गीता-रहस्य (कर्मयोगशास्त्र) : बाल गंगाधर तिलक, रामचन्द्र बलवंत तिलक, नारायण पेठ, पुणे, सप्तम्, १९३३. २५. गोम्मठसार (कर्मकाण्ड) : अनु० स्व० पं० मनोहरलाल शास्त्री, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई, द्वितीय, १९२८ २६. जैन तर्कभाषा : यशोविजय गणि, सं० पं० सुखलाल संघवी, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, अहमदाबाद, १९३८. २७. जैन थ्योरीज ऑफ रियलिटी एण्ड नोलेज : वाई० जे० पद्मराजे, जैन साहित्य विकास मण्डल, बम्बई, १९६३. २८. जैनदर्शन : डॉ० महेन्द्रकुमार जैन, श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी, तृतीय, १९७४. २९. जैन दार्शनिक साहित्य के विकास की : दलसुख मालवणिया, जैन संस्कृत संशोधन मण्डल, रूपरेखा बनारस, द्वितीय संस्करण, १९५२. ३०. जैन, बौद्ध, और गीता के आचार दर्शनों : डॉ० सागरमल जैन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान, का तुलनात्मक अध्ययन भा० १, २ जयपुर,, १९८२ ३१. जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास भा-३ : प्रो० श्री हीरालाल रसिकदास कापडिया, श्री मुक्तिकमल जैन मोहन ग्रन्थमाला, रावपुरा, बडोदरा, प्रथम, १९७०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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