Book Title: Digambar Jain Parshwanath Janmabhumi Mandir Bhelupur Varanasi ka Aetihasik Parichay
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Devadhidev Shree 1008 Parshwanath Manstambh Panch Kalyanak Mohatsav Samiti Bhelupur
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वाराणसी जनपद के कस्बों व गावों में जैन धर्म :
धनन्जय ग्राम जो अब विश्वविद्यालय में है, के जैन अब सुन्दरपुर में आबाद हैं। बछांव ग्राम में एक घर है, वाराणसी इलाहाबाद मार्ग पर साहिबाबाद ग्राम में एक दिगम्बर जैन मंदिर श्री बिन्द्रा प्रसाद ने दिनांक ६-८-८४ में स्थापित किया। गंगापुर ग्राम में पाँच घर हैं व एक चैत्यालय है। हाथी गाँव में २५ जैन घर है व प्रतापगढ़ के डा. राम कुमार जैन ने नये मन्दिर दिनांक ७-३-१९६५ को मंदिर की प्रतिष्ठा कराई है।
भेलूपुर में मूर्तियों की अधिकता बतलाती है कि यहाँ बहुत से गाँवों में जैन धर्म था। कुछ गाँव शहरी करण की चपेट में आकर उखड़ गये व कुछ गाँवों से व्यवसाय की तलाश में जैन परिवार बाहर चले गये। वो लोग अपनी मूर्तियाँ भेलूपुर देते रहे। भेलूपुरा के मंदिर में इस समय ४६ मूर्तियां हैं दो पद्यमावती देवी की मूर्तियां हैं। एक सिद्धों की आकृति है। यहाँ से दो मूर्तियाँ नरिया जैन मंदिर में ई. सन् १९८१ में ले जाई गयीं। दो मूर्तियां सारनाथ इस शताब्दी के छठे दशक में गई । क्षेत्रपाल की मान्यता जैन देवकुल में ११वीं शताब्दी से हुई * इस मन्दिर में क्षेत्रपाल भी आठ क्षेत्रपालों का समूह प्रतीत होता है। इससे भी स्पष्ट है कि जगह-जगह से मन्दिर उठ कर यहां आए होगें।
जैन साहित्य में वाराणसी : .. प्रोफेसर सागरमल ने अपनी पुस्तक पार्श्वनाथ जन्म भूमि मन्दिर, वाराणसी का पुरातत्त्वीय वैभव में बताया है कि वाराणसी नगरी का वर्णन निम्न जैन साहित्य में है - प्रज्ञापना, ज्ञाताधर्मकथा, उत्तरध्ययन चूर्णी, कल्पसूत्र, उपासक दशांग, आवश्यक नियुक्ति, निरयावलिका तथा अन्तकृद्दशा ।
____ भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ ने लिखा है कि वाराणसी का वर्णन तिलोयपणति, उत्तरपुराण,आचार्य पद्मकीर्ति कृत पासणाउ चरित्र, वादिराजसुरि कृत पार्श्वनाथ चरित्र तथा ब्रहमचारी नेमी दत्त कृत आराधना कथा कोष में है
इन सब पुस्तकों में वाराणसी से समबन्धित कुछ आख्यान अथवा श्री पार्श्वनाथ स्वामी के जीवन में वाराणसी का वर्णन है, वाराणसी में जैन धर्म का कर्मिक इतिहास अथवा भेलूपुर के इस मन्दिर का कर्मिक इतिहास नहीं है ।
राजघाट के अवशेष : राजघाट में खुदाई में पुराने जैन मन्दिर के अवशेष प्राप्त हुये। यहाँ से प्राप्त सबसे
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