Book Title: Digambar Jain Parshwanath Janmabhumi Mandir Bhelupur Varanasi ka Aetihasik Parichay
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Devadhidev Shree 1008 Parshwanath Manstambh Panch Kalyanak Mohatsav Samiti Bhelupur

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ १२ सन् ३८ से १०७ के बीच में बताया है १३ अर्थात ईसा की पहली शताब्दी में पंचस्तूप संघ का निर्माण. हो गया था । . प्रो. सागरमल ने बटगोहली पहाड़पुर (बंगाल) से प्राप्त ई. सन् ४७६ के एक ताम्र पत्र के हवाले से पंचस्तूपान्वय को काशी का बताया है । प्रो. साहब का कहना है कि यह पंचस्तूपान्वय लगभग १० वीं शताब्दी तक अस्तित्व में रहा ___यहाँ संघ एवं अन्वय शब्द पर्यायवाची हैं । इससे यह प्रतीत होता है कि काशी में ५ स्तुप ईसा की पहली शताब्दी से पूर्व ही मौजूद थे । इसी कारण यहाँ के संघ को पंचस्तूप के नाम से पुकारा गया ।। ३-जिस टीले पर पूर्व मन्दिर स्थापित था उसमें मिट्टी की तीन परतें मिली हैं । सम्भवतः नीचे की परत स्वाभाविक थी ।'दूसरी परत स्तूप की कुर्सी की हो एवं तीसरी परत स्तूप की ईंटों का चूरा हो । खोंदते समय प्रत्यक्षदर्शी श्री चन्द्रभान एवं श्री जय कृष्ण ने बताया ऊपर की सतह में ईंट व पत्थर का चूरा था । अन्यथा और कोई कारण तीन परत मिट्टी का प्रतीत नहीं होता। मन्दिर की तीन नीवों से इन तीन परतों का सम्बन्ध नहीं जोड़ा जा सकता। ४- नींव में प्राप्त सभी ईंटे नये मन्दिर में दबा दी गयीं अथवा मिटटी के साथ फेंक दी गयीं परन्तु नमूने के लिए कुछ ईंटें रखी हुई हैं जिनका माप निम्न प्रकार है १- साबूत ईट २८ गुणे २० गुणे ४.५ से.मी.।। २- लम्बाई में टूटी ईट, मौजूदा लम्बाई २२ से.मी.। पूरी ईट की माप २२ से. मी. से अधिक गुणें २२ गुणे ७ से. मी.। ३- दशा कम दो के अनुकूल, मौजूदा लम्बाई १८ से. मी.। पूरी ईट की माप १८ से. मी. से अधिक गुणे २२ गुणे ७ से.मी.। ४- दशा कम दो के अनुकूल, मौजूदा लम्बाई २२ से.मी.। पूरी ईट की माप २२ से. मी. से अधिक गुणे २० गुणे ५ से. मी. । इन ईटो की बनावट सुडौल नहीं है। प्रो. सागरमल ने यहाँ से प्राप्त ईटों को प्राचीन कहा है । सम्भव है यहाँ ही ये ५ स्तूप बने हों जो काल कम से दृट गये तत्पश्चात यहाँ ये कम से चार बार मन्दिर बना । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30