Book Title: Digambar Jain Parshwanath Janmabhumi Mandir Bhelupur Varanasi ka Aetihasik Parichay
Author(s): Satyendra Mohan Jain
Publisher: Devadhidev Shree 1008 Parshwanath Manstambh Panch Kalyanak Mohatsav Samiti Bhelupur

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ उपसंहार __ जैन धर्म में मन्दिर नवदेवता में स्थान पाते हैं ५ । इस प्रकार मन्दिर केवल मूर्ति का आवास ही नहीं बल्कि स्वयं एक देवता है। मैं भेलूपुर के इन्हीं देवता की पूजा में रत हूँ एवं उपरोक्त खोज उन्हीं के प्रति मेरे श्रद्धा सुमन हैं । ____ अगर कोई आवश्यक घटना का वर्णन उपरोक्त लेख में रह गया हो या कोई घटना गलत लिखी गयी हो तो विज्ञ जन मुझे सूचित कर अनुग्रहीत करें । मुझे काफी सूचनायें श्री ऋषभदास जैन, श्री चन्द्रभान जैन ,श्री जय कृष्ण जैन,श्री सुनील जैन,श्री लाल जी जैन नरिया , श्री प्रकाश चन्द्र जैन पुजारी भेलूपुरा ,श्री चन्द्रकान्त मिश्रा प्रबंधक भेलपुरा से मिली हैं । मैं उन सबका आभारी हूँ । जिन विद्वान लेखकों से मैंने इस विषय में जानकारी हासिल की या जिन्हे ऊपर संदर्भित किया अथवा जिस पुस्तक से मैंने तीन फोटो ली उन सबका मै आभारी हूँ । लेखक के पिता चौधरी प्रकाश चन्द्र जैन (१०-१-१६१० से ७-१२-१६६०) ने वाराणसी में भेलूपुरा का इतिहास जानना चाहा था उनके आदेश से यह अध्ययन मैंने प्रारम्भ किया था । लेखक की माता जैनमती जैन ने इस कार्य की प्रेरणा दी व धर्म पत्नी इन्द्रानी जैन ने सहयोग दिया, जिनका आभार व्यक्त करना नहीं भूलना चाहिए । इस सब कार्य में प्रो. सागरमल का संदर्भ लगातार देता रहा हूँ एवं उनसे समय-समय पर प्रेरणा मिली। श्री सुनील जैन ने लगातार लेखन हेतु अनुरोध किया। इनको बहुत धन्यवाद । . . - आशा है कि इस वर्णन से पुरावेशषों , पुरानी मूर्तियों , पुराने मन्दिरों, पुराने टीलों के प्रति समाज की रूची जगेगी क्योकि उन्हीं से देवता की गौरवं गाथा को निर्माण तथा धर्म के प्रति श्रद्धा का संचार होता है। वह देवता की पूजा है । सन्दर्भ : १- भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ भाग १ - प्रकाशक भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी बम्बई,१६७४ पृ.१३३ । २- उपरोक्त का पृष्ठ १२६ व १३० । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30