Book Title: Dhaturatnakar Part 4
Author(s): Lavanyasuri
Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 487
________________ 474 धातुरत्नाकर चतुर्थ भाग ७ वीर्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। "न प्रादि:०" इति समो न धात्ववयत्वम्।। ८ वीरयिता-", रौ, र: । सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। व्याकणरस्य सूत्रं करोतीति व्याकरणं सूत्रयति ९ वीरयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि. आव: ६४ सूत्रि-धातोरूपाणि।। आमः।। १ सूत्रय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः ।। १० अवीरयिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। २ सूत्रये-त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। शूरो भवतीति शूरयति। ३ सूत्रय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आणि, आव, ६२ शूरि-धातोरूपाणि।। आम।। १ शूरय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, आमः।। | ४ असूत्रय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। २ शूरये- तू, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। ५ असुसूत्र- तू, ताम्, न्।:, तम्, त। म्, आव, आम।। ३ शूरय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आणि, आव, ६ सूत्रया- ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ० ।। आम।। ७ सूत्र्या-त्, स्ताम्, सुः1:, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। ४ अशूरय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ८ सत्रयिता-". रौ, र:। सि. स्थ:. स्थ। स्मि. स्वः. स्मः।। ५ अशुशूर-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। | ९ सूत्रयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ६ शूरया- ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ०।। मास, इ० ।। आमः।। ७ शूर्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। १० असूत्रयिष्य- त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ८ शूरयिता-'", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। सूत्रव्याकरणयोः सम्बन्धस्य उत्पन्ने प्रत्यये निवर्तनात् ९ शूरयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: सूत्रयतिक्रियासम्बन्धाच्च व्याकरणशब्दाद् द्वितीयैव, आमः।। एवमन्यत्रापि।। १० अशूरयिष्य- तू, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। । स्थिरमाचष्टे करोती वा इति स्थापयति। ५ अशुशूरत् अत्र समानलोपित्वान्न सन्वद्भावः। ६५ स्थापि-धातोरूपाणि॥ वस्त्रं वस्त्रेण वा समाच्छादयतीति संवस्त्रयि। | १ स्थापय-ति, तः, न्ति। सि, थ:, था आमि, आव:, आमः।। ६३ सम्-वस्त्रि-धातोरूपाणि।। | २ स्थापये-त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम्, व, म।। १ संवस्त्रय-ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आवः, - ३ स्थापय- तु/तात्, ताम्, न्तु।:/तात्, तम्, त। आनि, आव, आमः।। आम।। २ संवस्त्रये- त्, ताम्, युः। :, तम्, त। यम, व, म।। ४ अस्थापय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म, आव, आम।। ३ संवस्त्रय- तु/तात्, ताम्, न्तु। :/तात्, तम्, त। आणि, ५ अतिष्ठप-त्, ताम्, न्।:, तम्, त। म्, आव, आम।। आव, आम।। ६ स्थापया- ञ्चकार, इ० ।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ०।। ४ समवस्त्रय-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ७ स्थाप्या- त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त, । सम्, स्व, स्म।। ५ समववस्त्र-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम्, आव, आम।। ८ स्थापयिता-", रौ, रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। ६ संवस्त्रया-कार, इ०।। म्बभूव, इ० ।। मास, इ०।। ९ स्थापयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: ७ संवस्त्र्या-त्, स्ताम्, सुः। :, स्तम्, स्त,। सम्, स्व, स्म।। आमः।। ८ संवस्त्रयिता-".रौ. रः। सि, स्थः, स्थ। स्मि, स्वः, स्मः।। १० अस्थापयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, त। म्, आव, आम।। ९ संवस्त्रयिष्य- ति, तः, न्ति। सि, थः, थ। आमि, आव: मतान्तरे अतिस्थप-त, "प्रियस्थिर०" (७,४,३८) इति आमः।। स्थिरशब्दस्य स्था इत्यादेशः। पुसि सन्वद्भावे च 'अतिष्ठपत्' १० समवस्त्रयिष्य-त्, ताम्, न्। :, तम्, ताम, आव, आम।। | लघुत्वाभावान दीर्घत्वम्।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522